भगवान गणेश को क्यों पसंद हैं मोदक.....जानिए क्या है मान्यता
हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से लेकर अनंत चौदस तक गणेश उत्सव मनाया जाता है. इस दौरान गणपति को घर पर लाकर बैठाया जाता है और उन्हें पसंदीदा भोग अर्पित किए जाते हैं. गणपति को मोदक भी अत्यंत प्रिय हैं. जानिए इसके पीछे क्या है मान्यता.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू कैलेंडर के हिसाब से भाद्रपद का महीना चल रहा है. इस महीने में लोगों को गणेश उत्सव का इंतजार रहता है. ये उत्सव भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तक चलता है. इस दौरान भगवान गणेश के भक्त उनकी मूर्ति को धूमधाम से घर में लेकर आते हैं. उनकी स्थापना करने के बाद गणपति की सेवा करते हैं, मेवा, मिष्ठान और उनके पसंदीदा भोग लगाते हैं.
इस बार गणेश उत्सव 10 सितंबर से शुरू होने जा रहा है और 19 सितंबर तक चलेगा. इस अवसर पर लोग गणपति को 5, 7 या 9 दिनों के लिए घर पर लेकर आते हैं. गणेश उत्सव की धूम सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में होती है. वहां लोग गणपति को मोदक का भोग जरूर लगाते हैं. मोदक को नारियल और घी से बनाया जाता है. मान्यता है कि गणपति को मोदक अत्यंत प्रिय है. जानिए इस मान्यता के पीछे क्या है वजह.
पहली कथा
गणेश जी को मोदक प्रिय होने को लेकर कई तरह की बातें प्रचलित हैं. पहली कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव शयन कर रहे थे और द्वार पर गणेश जी पहरा दे रहे थे. परशुराम वहां पहुंचे तो गणेश जी ने परशुराम को रोक दिया. इस पर परशुराम क्रोधित हो गए और गणेश जी से युद्ध करने लगे. जब परशुराम पराजित होने लगे तो उन्होंने शिव जी द्वारा दिए परशु से गणेश जी पर प्रहार कर दिया. इससे गणेश जी का एक दांत टूट गया. दांत टूट जाने की वजह से उन्हें काफी दर्द हुआ और खाने पीने में परेशानी होने लगी. तब उनके लिए मोदक तैयार किए गए क्योंकि मोदक काफी मुलायम होते हैं. मोदक खाने से उनका पेट भर गया और वे अत्यंत प्रसन्न हुए. तब से मोदक गणपति का प्रिय व्यंजन बन गया. मान्यता है कि जो भी उन्हें मोदक का भोग लगाता है, गणपति उससे अत्यंत प्रसन्न होते हैं.
ये भी है मान्यता
मोदक को लेकर दूसरी कथा गणेश और माता अनुसुइया की है. कहा जाता है कि एक बार गणपति भगवान शिव और माता पार्वती के साथ अनुसुइया के घर गए. उस समय गणपति, भगवान शिव और माता पार्वती तीनों को काफी भूख लगी थी. माता अनुसुइया ने सोचा कि पहले गणेश जी को भोजन करा देती हूं, इसके बाद महादेव और माता पार्वती को खिला दूंगी. माता अनुसुइया ने गणपति को भोजन कराना शुरू किया तो वो लगातार काफी देर तक खाते ही रहे. लेकिन उनकी भूख शांत होने का नाम नहीं ले रही थी. तब माता अनुसुइया ने सोचा कि कुछ मीठा खिलाने से शायद उनकी भूख शांत हो जाए. ऐसे में माता अनुसुइया गणपति के लिए मिठाई का एक टुकड़ा लेकर आईं. उसे खाते ही गणेश जी का पेट भर गया और उन्होंने जोर से डकार ली. उसी समय भोलेनाथ ने भी जोर जोर से 21 बार डकार ली और कहा उनका पेट भर गया है. बाद में देवी पार्वती ने अनुसृइया से उस मिठाई का नाम पूछा. तो माता अनुसुइया ने बताया कि इसे मोदक कहा जाता है. तब से मोदक को गणपति का प्रिय व्यंजन माना जाने लगा और भगवान गणेश को मोदक चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई. मान्यता है कि गणेश जी को यदि 21 मोदक चढ़ाए जाएं तो उनके साथ सभी देवताओं का पेट भर जाता है. इससे गणपति और अन्य सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है.