घर में क्यों नहीं रखी जाती है शनिदेव की मूर्ति...जाने इसके पीछे का इतिहास
शनिवार का दिन भगवान शनि को समर्पित होता है. इस दिन विशेष रूप शनि देव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
शनिवार का दिन भगवान शनि को समर्पित होता है. इस दिन विशेष रूप शनि देव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि अगर किसी व्यक्ति के कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या महादशा चल रही है तो इस दिन पूजा पाठ करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. कई लोग शनिदोष से मुक्ति पाने के लिए विभिन्न उपाय करते हैं.
शनिदेव भगवान सूर्य और माता छाया के पुत्र हैं. शास्त्रों में शनि ग्रह का विशेष महत्व है. शनिदेव को न्याय का देवता कहते हैं, माना जाता है कि शनि देव लोगों को उनके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं. शनिदेव से जुड़ी कई बातों के बारे में हम में से कई लोग जानते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अन्य देवी- देवताओं की तरह शनिदेव की मूर्ति या फोटो क्यों नहीं रखी जाती है. आइए हम आपको बताते हैं इसके पीछे के कारण.
शास्त्रो में कुछ देवी- देवताओं की तस्वीर लगाना वर्जित माना गया है. इन्ही में से शनिदेव की मूर्ति घर पर लगाना वर्जित माना गया है. मान्यता है कि शनिदेव को श्राप मिला हुआ है कि वो जिस भी चीज को देखेंगे उसका अनिष्ट होगा. अगर आप मंदिर में शनिदेव की पूजा करते हैं उनकी आंखों की जगह पैरौं की तरफ देखें. मान्यता है कि उनकी आंखों में देखने से अच्छा नहीं होता है. शनिवार के दिन हनुमानजी की पूजा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं.
ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है. इस बार शनि जयंती 10 जून 2021 को पड़ रही है. शनि जयंती के दिन पूजा -अर्चना करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है. कुंडली में शनि के ग्रह दोष से छुटकारा पाने के लिए विभन्न उपायों को करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. इस दिन श्रद्धालु शनि देव को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं.