मकर संक्रांति पर क्यों करते हैं काले तिल का दान, जानिए
मकर संक्रांति के पर्व का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव के पूजन का विधान है। मकर संक्रांति के दिन गंगा-यमुना आदि पवित्र नदियों में स्नान का करने और दान करने का विशेष फल मिलता है।
मकर संक्रांति के पर्व का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव के पूजन का विधान है। मकर संक्रांति के दिन गंगा-यमुना आदि पवित्र नदियों में स्नान का करने और दान करने का विशेष फल मिलता है। मान्यता है कि आज के दिन उड़द दाल और चावल की खिचड़ी तथा काले तिल के लड्ड़ू का दान जरूर देना चाहिए। ऐसा करने से घर से दुख-दारिद्रय का नाश होता है तथा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। मकर संक्रांति के दिन काले तिल का दान करने का विशेष महत्व है। काले तिल का संबंध शनि देव से माना जाता है, मान्यता है काले तिल के दान से शनि दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है, आइए जानते हैं इसके बारे में....
मकर संक्रांति पर काले तिल दान की कथा –
भारतीय ज्योतिषशास्त्र में काले तिल का संबंध शनि देव से माना जाता है। शनि देव के पूजन में काले तिल का विशेष रूप से प्रयोग होता है। शनिदेव को सरसों का तेल और काला तिल चढ़ाने से शनि देव के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। मकर संक्रांति के दिन काला तिल दान करने का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव का पूजन किया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य देव, शनि देव के पिता है। लेकिन वो उनकी दूसरी पत्नी छाया की संतान हैं। शनिदेव के अत्यंत काले होने के कारण सूर्यदेव उनकी उपेक्षा करते थे। शनिदेव ने अपनी और अपनी मां की उपेक्षा से नाराज हो कर, पिता सूर्य देव को श्राप दे दिया। जिस कारण उन्हें कुष्ठ रोग हो गया।
सूर्य देव का शनिदेव को आशीर्वाद –
सूर्य देव के दूसरे पुत्र यमराज ने कठोर तप करके उन्हें शनिदेव के श्राप से मुक्ति प्रदान की। लेकिन सूर्य देव के क्रोध से शनि देव का घर कुंभ जल गया था। यमराज के मध्यस्था करने पर सूर्यदेव ने शनिदेव को क्षमा प्रदान करने मकर संक्रांति पर उनके घर गये। घर में सब कुछ जल चुका था केवल काले तिल ही शेष बचे थे। शनिदेव ने काले तिल से ही सूर्य देव का पूजन किया। सूर्य देव ने प्रसन्न हो कर शनि देव को आशीर्वाद दिया । मकर संक्रांति के दिन जो भी शनि भक्त काले तिल का दान करेगा उस पर उनकी कृपा बनी रहेगी। शनिदेव के दुष्प्रभाव से भी मुक्ति मिलेगी।