शमी वृक्ष की क्यों करते हैं पूजा, जानिए धार्मिक महत्व

शमी के वृक्ष का हमारे धर्म ग्रंथों रामायण, महाभारत और पुराणों में भी जिक्र आता है।

Update: 2021-06-26 09:58 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | शमी के वृक्ष का हमारे धर्म ग्रंथों रामायण, महाभारत और पुराणों में भी जिक्र आता है। धार्मिक रूप से भी शमी के वृक्ष का बहुत महत्व है। इसका संबंध भगवान राम और पाण्डवों से भी रहा है। शमी की लकड़ी का कुछ विशेष यज्ञों में भी प्रयोग किया जाता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार , शमी के वृक्ष का पूजन करने से शनि ग्रह को शांत किया जा सकता है। जिस व्यक्ति पर शनि का दुष्प्रभाव चल रहा हो , उसे अपने घर में शमी का वृक्ष लगाना चाहिए। आइए जानते हैं शमी वृक्ष के महत्व और प्रभाव के बारे में..

शनि के प्रभाव को शांत करता है
ज्योतिष आचार्यों के अनुसार, शमी और पीपल ये दो पेड़ ऐसे हैं, जिनका प्रयोग शनि देव के प्रभाव को कम करने के लिए किया जाता है। शनि देव या शनि ग्रह का प्रभाव हर व्यक्ति के जीवन में एक बार जरूर पड़ता है। शनि के दुष्प्रभाव से बचने के लिए घर में या घर के आस-पास शमी का वृक्ष लगाएं तथा शनिवार को इसके नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इसके अलावा शमी के फूल तथा पत्तों का भी प्रयोग शनि ग्रह के प्रभाव को कम करने के लिए किया जाता है। मान्यता है कि घर में शमी का पेड़ लगा रहने से टोने, टोटके और नकारात्मक ऊर्जा का घर पर प्रभाव नहीं पड़ता।
शमी के वृक्ष का धार्मिक महत्व
शमी के वृक्ष का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है, इसका वर्णन रामायण और महाभारत दोनों जगह किया गया है। रामायण में उल्लेख है कि जब लंका पर युद्ध से पहले भगवान राम ने विजय मुहूर्त में हवन किया था , तो शमी का वृक्ष उसका साक्षी बना था। इसी प्रकार महाभारत में जब अज्ञातवास के दौरान अर्जुन ने बृह्न्नलला का रूप लिया था , तो अपना गाण्डीव धनुष शमी के वृक्ष पर ही छिपाया था। विराट नगर के युद्घ में यहां पर से ही गाण्डीव निकाल कर कौरवों को अकेले ही भागने पर मजबूर कर दिया था। शमी के पत्तों का प्रयोग भगवान गणेश और दुर्गा मां की पूजा में भी किया जाता है।


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