देव दीपावली के दिन क्यों करते है दीपदान, जाने इसका महत्व
कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि के दिन देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है। मान्यता है कि इस दिन ही भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार ले कर, धरती की प्रलय से रक्षा की थी।
कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि के दिन देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है। कार्तिक पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है। मान्यता है कि इस दिन ही भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार ले कर, धरती की प्रलय से रक्षा की थी। तो वहीं दूसरी ओर भगवान शिव ने इस दिन त्रिपुरासुर नामक राक्षस का अंत कर देवताओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। मान्यता है कि इसी उपलक्ष्य में इस दिन स्वयं देवता दीपावली का पर्व मनाते हैं। इस साल देव दीपावली का पर्व 19 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन गंगा नदी में दीपदान करने का विधान है। आइए जानते हैं देव दीपावली की परंपरा और इस दिन दीपदान के महात्म के बारे में....
क्या है देव दीपावली की परंपरा
हिंदू धर्म में दीपावली का त्योहार सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। हालांकि इसका आयोजन कार्तिक मास की अमावस्या के दिन होता है। इस दिन आम जनमानस भगवान राम के अयोध्या वापस लौटने की खुशी में त्योहार मनाते हैं। लेकिन कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि के दिन देवता स्वयं वारणसी में मां गंगा के तट पर आकर दीपावली मनाते हैं। इस दिन को देव दीपावली कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से त्रिपुरासुर का वध किया था। त्रिपुरासुर के आतंक से मुक्त होने की खुशी में देवता वाराणसी आ कर भगवान शिव का पूजन करते हैं और दीपावली मनाते हैं।
देव दीपावली पर दीपदान का महात्म
देव दीपावली के दिन विशेष कर गंगा नदी या दूसरी पवित्र नदियों में दीप दान करने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन बनारस में गंगा जी के घाटों पर स्वयं देवता दीपावली मनाते हैं। इस दिन गंगा नदी के घाटों पर दीप और दीपदान करना देवताओं के साथ दीपावली मनाने के तुल्य माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार लिया था। इसलिए देव दीपावली पर दीपदान करने से बैकुंठ लोक के द्वार खुल जाते हैं।