12 जनवरी, 1863 को कोलकाता में जन्में नरेंद्र नाथ दत्ता को दुनिया स्वामी विवेकानंद के नाम से जानती है. उन्होंने बहुत कम उम्र में जीवन के कई बड़े पाठ सीख लिए थे. उन्होंने विदेशों में भारत के सनातन धर्म का प्रचार किया और आध्यात्मिक होने के लिए लोगों को प्रेरित किया. विवेवाकनंद जी ने रामकृष्ण मिशन (Ramkrishna Mission) की स्थापनी भी की थी जो एक संस्था है जिसमें स्कूल, अस्पताल चलाए जाते हैं और ये देश के अलग-अलग हिस्सों में अपना काम आज भी कर रही है. स्वामी विवेकानंद जी ने अपने जीवन में जो कुछ भी सीखा था वो अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस (Ramakrishna) से सीखा था. चलिए आपको बताते हैं वो कौन थे?
स्वामी विवेकानंद के गुरु का क्या नाम था? (What is Name of Swami Vivekanand)
स्वामी विवेकानंद ने अपना पूरा जीवन गुरु रामकृष्ण परमहंस के नाम कर दिया था. रामकृष्ण के नाम पर ही आगे संस्थाएं बनी जिसे स्वामी विवेकानंद जी ने बनवाया. बताया जाता है कि आध्यात्मिक गुरु रामकृष्ण जी ने अपना उत्तराधिकारी स्वामी विवेकानंद जी को बनाया था. रामकृष्ण जी विवेकानंद को बहुत मानते थे और उनके ऊपर बहुत भरोसा भी करते थे. साल 1890 के दौरान विवेकानंद जी ने पूरे देश का भ्रमण कर लिया और आध्यात्म को करीब से सीखा. रामकृष्ण परमहंस के नाम से कई स्कूल चलते हैं जहां पर बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है और उनके लिए अस्पताल की भी सुविधाएं दी गई हैं. साथ ही बच्चों के लिए हॉस्टल की व्यवस्था भी है. इसके अलावा कई मंदिर, कई संस्थाएं हैं जहां लोगों की मदद की जाती है और उन्हें आज भी स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण के अनुयायी चलाते हैं.
कौन थे रामकृष्ण परमहंस? (Who was Ramakrishna Paramahamsa)
18 फरवरी, 1836 को वेस्ट बंगाल के कमरपुर में जन्में रामकृष्ण परमहंस का असली नाम गदाधर चट्टोपाध्याय था. अध्यात्म में आने के बाद उनका नाम रामकृष्ण परमहंस पड़ा. उनका साथ उनकी वाइफ शारदा देवी देती थीं. वे भारत के एक महान संत, आध्यात्मिक गुरु और विचारक थे जिन्होंने सभी धर्मों की एकता पर जोर दिया था. उनका विश्वास था कि बचपन में ईश्वर को पाने का प्रयास करो तो उन्हें उनके दर्शन भी हो सकते हैं. स्वामी विवेकानंद उनके प्रिय शिष्य थे और उनके आध्यात्म का प्रचार वही करते थे. स्वामी रामकृष्ण किसी धर्म की पूजा नहीं करते थे बल्कि वो मानवता के पुजारी थे और वो कठोर साधना किया करते थे.