कब है परशुराम जयंती?
भगवान परशुराम विष्णु जी के छठा अवतार मन जाता है। परशुराम जी का जन्म हिन्दू तिथि के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन हुआ था भगवान परशुराम ब्राह्मण रूप में एक महात्मा के वीर योद्धा थे, अक्षय तृतीया के दिन इनका जन्म होने से इनकी शक्तियों का क्षय नहीं होता है।
ज्योतिष विद्वानों की माने तो पर अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती एक ही दिन होती है, परन्तु तृतीया तिथि के प्रारंभ होने के आधार पर परशुराम जयंती, अक्षय तृतीया से एक दिन पूर्व भी हो सकती है।
भगवान परशुराम के बारे में
परशुराम जी का जन्म मुनि जमदग्नि के घर हुआ था उनकी माता का नाम रेणुका था। भगवान परशुराम जी को भृगुवंशी, रामभद्र, भार्गव, भृगुपति तथा जमदग्न्य नामों से भी जाना जाता है।
परशुराम दो शब्दों से मिलकर बना है, परशु + राम अर्थात फरसा सीधे शब्दों में कुल्हाड़ी जैसे हथियार जो की आप उनके हस्थो में देख सकते है तथा राम जो की भगवान राम से जुड़ा है।
भगवान श्री परशुराम ने केवल एक महात्मा थे बल्कि शस्त्र विद्या के श्रेष्ठ जानकार भी थे। परशुरामजी के बारे में हमारे धर्म की रामायण, महाभारत, भागवत पुराण और कल्कि पुराण आदि ग्रन्थों में किया गया है।
एक और पौराणिक कथा (कल्कि पुराण ) के अनुसार के परशुराम जी, भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि के गुरु होंगे और उन्हें सभी तरह की शिक्षा देंगे। भीष्म, गुरु द्रोण एवं कर्ण उनके जाने-माने शिष्य थे।
भगवान परशुराम शिवजी के उपासक हैं। उन्होनें सबसे कठिन कलारिपायट्टू युद्धकला भगवान शिवजी से प्राप्त की थी।
हिन्दू धर्म में परशुराम के बारे में यह कहा जाता है कि वे त्रेता युग और द्वापर युग से कलयुग के अंत तक अमर हैं।