कहा जाता है कि रत्नों में बहुत ताकत होती है। यह रत्न हमारी पूरी जिंदगी पलट कर रख देते हैं। रत्न मनचाही इच्छाओं को पूरा करने, जीवन को नई दिशा देने और तमाम समस्याओं को दूर करने का काम करते हैं। रत्नशास्त्र में माणिक्य रत्न का उल्लेख मिलता है। यह रत्न काफी चमत्कारिक और सुंदर होता है। अंग्रेजी में इस रत्न को रूबी कहा जाता है। माणिक्य यानि की रूबी रत्न को रत्नों का नायक, रत्नायक भी कहते हैं।
रूबी का रंग हल्के गुलाबी से गहरे लाल रंग तक में पाया जाता है। महिलाओं के हल्के रंग के माणिक लिए उपयुक्त माने जाते हैं। वहीं पुरुषों के लिए गहरे रंग के माणिक अच्छे माने जाते हैं। बता दें कि यह रत्न उन लोगों के लिए आदर्श माना जाता है, जो लीडर होते हैं और प्रेम संबंध में हैं। रूबी रत्न सूर्य के साथ जुड़ा हुआ है। बताया जाता है कि यह रत्न शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखता है। बर्मा का रूबी रत्न ज्यादा अच्छा माना जाता है।
सूर्य का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य ग्रहों का राजा माना गया है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य आत्मा और पितृत्व पर शासन करता है। इसके साथ ही सूर्य सभी अन्य ग्रहों को प्रकाश प्रदान करता है। सूर्य कुंडली में पितरों पर शासन करता है। सूर्य पर एक से अधिक अशुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ने पर कुंडली में पितृ दोष बनता है। बता दें कि सूर्य के प्रभाव से ही व्यक्ति सरकारी क्षेत्र में नौकरी पाता है। इसके अलावा यह व्यक्ति को प्रभावशाली, प्रशासक, अनुशासित, विश्लेषक, आविष्कारक और समय के साथ सफलता प्राप्त करने वाला बनाता है।
मेष, सिंह और धनु राशि में होने पर सूर्य अत्यंत बली होता है। सूर्य की मूलत्रिकोण राशि, सिंह राशि है। इसलिए यह सिंह राशि में बली होता है। यदि कुंडली में सूर्य बली हो और अशुभ ग्रहों से मुक्त हो, तो ऐसा व्यक्ति जीवन भर सफलताएं प्राप्त करता है। कुंडली में सूर्य के बली होने से जातक शारीरिक रूप से सेहतमंद और ऊर्जावान होता है।
लाभ
रूबी रत्न का स्वामी सूर्य देव को माना गया है। सूर्य देव ही इस रत्न को ऊर्जा प्रदान करते हैं। इस रत्न को धारण करने से सूर्य देव से संबंधित क्षेत्रों में लाभ मिलता है। सूर्य की तरह ही रूबी रत्न प्राकृतिक रूप से व्यक्ति के नेतृत्व गुणों को बढ़ाता है। इस रत्न को धारण करने वाले व्यक्ति को प्रशासनिक और प्राधिकरण पदों पर काम करने का मौका मिलता है।
यह रत्न जातक के आत्मविश्वास में वृद्धि करता है। साथ ही भय पर काबू पाने में मदद मिलती है। लाल रंग का रूबी पहनने से प्यार और करुणा का भाव बढ़ता है।
लाल माणिक रत्न पहनने वाले को तनाव से लड़ने में मदद मिलती है। साथ ही रक्त प्रवाह व आखों की रोशनी से संबंधित समस्याओं में राहत मिलती है।
यदि आपकी कुंडली में सूर्य दूसरे या चौथे भाव में है तो पारिवारिक संबंधों में परेशानी आ सकती हैं। संबंधों को सुधारने के लिए यह रत्न पहनना चाहिए।
किसे पहनना चाहिए यह रत्न
यह रत्न कृषक, राजनेता, चिकित्सक और सरकारी कर्मचारी पहन सकते हैं। इसके अलावा 16 अगस्त से 17 सितंबर के बीच पैदा हुए लोग भी रूबी को धारण कर सकते हैं। इससे उन्हें अत्यंत लाभ मिल सकता है। रूबी रत्न को धारण करने से आपको प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं सफलता मिलने की संभावना अधिक रहती है। वैज्ञानिक, इंजीनियरों, डॉक्टरों, छात्रों, स्टॉक ब्रोकर, भून्यायाधीशों, वकीलों और नीति निर्माताओं को रूबी लाभ पहुंचाता है। इस रत्न को धारण करने से करियर में सफलता मिल सकती है।
इस राशी का भाग्य रत्न है रूबी
माणिक्य रत्न का स्वामी सूर्य है, और यह सिंह राशि का स्वामी है। माणिक्य रत्न सिंह राशि के लोगों के लिए उनका भाग्य रत्न होता है। इस रत्न को पहनने से सिंह राशि के जातकों को अत्यंत लाभ मिल सकता है।
इन राशियों को नहीं पहनना चाहिए माणिक्य
वृषभ लग्न, कन्या लग्न, मकर लग्न, कुम्भ लग्न, तुला लग्न, मकर लग्न और मीन लग्न के जातकों को माणिक्य रत्न नहीं पहनना चाहिए। वृष लग्न के लिए यूर्य चतुर्थ भाव का स्वामी होता है। यह ष लग्न के स्वामी शुक्र का शत्रु है। इसलिए इन लोगों को माणिक्य नहीं धारण करना चाहिए। वहीं मिथुन लग्न के लोगों को भी इस रत्न को नहीं पहनना चाहिए। सूर्य की महादशा के दौरान इस रत्न को धारण किया जा सकता है। वह भी इसे तब ही धारण करें जब आपकी जन्म कुंडली में सूर्य अपनी राशि में स्थित हो।
कितने रत्ती का होना चाहिए माणिक्य
रत्न ज्योतिषीय के मुताबिक कम से कम 1 कैरेट का यह रत्न धारण करना चाहिए। माणिक्य को सोने या तांबे में पहनना चाहिए। हालांकि यह 2-3 कैरेट का भी अच्छा रत्न होता है। कम से कम 5 रत्ती का रत्न धारण करना शुभ होता है।
पहनने की विधि
इस रत्न को सोने या तांबे की बनी अंगूठी में पहनना चाहिए। इसे अनामिका उंगली में पहनना चाहिए। इस रत्न को धारण करने से पहले इसे कच्चे दूध या गंगाजल में डुबोना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु या शिव को सफेद या लाल फूल अर्पित कर अगरबत्ती जलाएं। सूर्य के मंत्र ओम ह्रीं ह्रीं ह्रीं सः सूर्याय नमः का 108 बार जाप कर पुष्प अर्पित करें। रविवार की सुबह या कृतिका, उत्तरा फाल्गुनी और उत्तराषाढ़ा नक्षत्रों के दौरान इस रत्न को धारण करें।
स्वास्थ्य लाभ
इस रत्न को धारण करने से शरीर में एनर्जी आती है। आंखों और रक्त संचार से संबंधित समस्या में यह रत्न मददगार साबित हो सकता है।
इस रत्न को धारण करने से भावनात्मक और मानसिक परेशानियां दूर होती हैं। डिप्रेशन से भी मुक्ति मिलती है।