दिवाली पर पूजा करते समय जरूर पढ़ें मां लक्ष्मी की ये कथा
एक गांव में एक साहूकार रहता था। उसकी एक बेटी थी जो रोजाना पीपल पर जल चढ़ाने जाती थी।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| एक गांव में एक साहूकार रहता था। उसकी एक बेटी थी जो रोजाना पीपल पर जल चढ़ाने जाती थी। साहूकार की बेटी जिस पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाती थी उसी वृक्ष पर मां लक्ष्मी का वास था। फिर एक दिन ऐसा हुआ कि लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी से कहा कि वो उसकी मित्र बनना चाहता हैं। लेकिन लड़की ने कहा कि वो अपने पिता से पूछकर बताएगी। जब उसने अपने पिता से यह पूछा तो उन्होंने हां कर दी। फिर साहूकार की बेटी ने मां लक्ष्मी को सहेली बनने के लिए सहमती दे दी। दोनों ही बहुत अच्छे मित्र बन गए।
फिर एक दिन लक्ष्मीजी साहूकार की बेटी को अपने घर ले गईं। मां लक्ष्मी ने उसका स्वागत उनके घर में किया। उसे भोजन कराया। जब साहूकार की बेटी लौटने लगी तो लक्ष्मी जी ने प्रश्न किया कि अब तुम मुझे कब अपने घर बुलाओगी। लड़की ने उन्हें अपने घर पर बुला लिया। लेकिन उसके घर की हालत ठीक नहीं थी तो उसे लग रहा था कि वो उनका स्वागत ठीक तरह से नहीं कर पाएगी।
साहूकार ने अपनी बेटी को उदास देखा। वो समझ गया था कि उसकी बेटी क्यों परेशान है। साहूकार ने अपनी बेटी से कहा कि तू फौरन मिट्टी से चौका लगा कर साफ-सफाई कर। चार बत्ती के मुख वाला दिया भी जला। ये सब कर लक्ष्मी जी का नाम लेकर बैठ जा। इसी दौरान एक चील ने लड़की के पास किसी रानी का नौलखा हार छोड़ दिया। फिर लड़की ने उस हार को बेचा और भोजन की तैयारी की। फिर कुछ देर बाद लक्ष्मी जी श्री गणेश के साथ आईं। लड़की ने उनकी खूब सेवा की और इससे लक्ष्मी जी बेहद प्रसन्न हुईं। लक्ष्मी जी ने प्रसन्न होकर साहूकार को बहुत अमीर बन दिया।