माता सीता की पूजा करते समय अवश्य पढ़ें ये व्रत कथा

आज जानकी जयंती के अवसर पर पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। तो आइए पढ़ते हैं

Update: 2021-03-06 01:55 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेसक | आज जानकी जयंती के अवसर पर पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। तो आइए पढ़ते हैं जानकी जयंती की पौराणिक कथा। कथा के अनुसार, मिथिला नरेश राजा जनक की कोई संतान नहीं थी। वे अपनी प्रजा से बेहद प्यार करते थे। कई वर्ष तक उनके राज्य में वर्षा नहीं हुई थी। उनके राज्य में अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। तब राजा ने अपने राज्य को इस मुसीबत से बचाने के लिए पुरोहितों और मुनियों को यज्ञ करने को कहा। साथ ही स्‍वयं खेत जोतने का उपाय बताया।

राजा जनक ने हल पकड़ा और खेत जोतने लगे। तभी अचानक उनका हल खेत में एक जगह फंस गया और कई प्रयासों के बाद भी वो नहीं निकला। जहां हल फंसा हुआ था जब राजा जनक ने वहां की मिट्टी हटवाई तो उन्हें वहां एक कन्या मिली। जैसे ही वो कन्या पृथ्‍वी से निकली तो अचानक से बारिश शुरू हो गई। इस कन्या का नाम राजा जनक ने सीता रखा। उन्होंने सीता को अपनी पुत्री मान लिया।
सीता के मिथिला में आते ही वहां की खुशियां वापस आ गईं। इसके बाद से लोग सुख के साथ जीवन यापन करने लगे। शास्त्रों के अनुसार, जिस दिन माता सीता राजा जनक को खेत में मिलीं थीं उस दिन फाल्‍गुन माह के कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी तिथि थी। इसके बाद से ही इस तिथि को माता सीता का प्राकट्य दिवस मनाया जाता है। यह दिन भक्त बेहद ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
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