कौन से एकादशी हैं सबसे खास, जानें

Update: 2024-03-09 07:38 GMT
नई दिल्ली: भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी की तिथि का सनातन धर्म में विशेष महत्व है. महीने में दो बार एकादशी आती है: एक कृष्ण पक्ष की, दूसरी शुक्ल पक्ष की। हर साल इस तरह 24 एकादशियां मनाई जाती हैं। लेकिन 24 एकादशियों में से कुछ ऐसी भी हैं जो सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि हिंदू धर्म में कौन सी एकादशियों को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है और क्यों?
निर्जला एकादशी
हिंदू धर्मग्रंथों में निर्जला एकादशी का सबसे अधिक महत्व माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से पूरे वर्ष की एकादशियों का फल प्राप्त होता है। इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, निर्जला एकादशी व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष को रखा जाता है। मान्यता है कि
आमलकी एकादशी
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को आमलकी एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु के अलावा आंवले के पौधे की भी पूजा की जाती इसे रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस आमलकी एकादशी का व्रत करने से साधक को 100 गाय दान करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। इसीलिए इस एकादशी को इतना महत्वपूर्ण माना जाता है।
पापमोचनी एकादशी
पापमोचनी एकादशी चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है। 24 एकादशियों में से इस एकादशियों का विशेष महत्व है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है, इस एकादशी का व्रत करने से साधक के सभी पाप दूर हो जाते हैं। यह भी माना जाता है कि इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति जाने-अनजाने में की गई गलतियों से मुक्त हो जाता है और साधक की सभी चिंताएं और कष्ट दूर हो जाते हैं।
देवउठनी एकादशी
देवउठनी एकादशी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी से योग निद्रा में चले जाते हैं और 4 महीने बाद कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को योग निद्रा से जागते हैं। इसलिए इसे देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। 04 महीने बाद इस दिन से दोबारा शुभ और मांगलिक कार्य शुरू होते हैं। देवउठनी या देव जागरण एकादशी पर भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप की पूजा की जाती है।
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