अनुष्ठान के समय भगवन शिव का निवास कहा होगा, भगवन शिव के निवास के समय ही शुभ फल मिलता है
धर्म अध्यात्म: शिव वास नियम से जान सकते हैं अनुष्ठान के समय भगवान शिव का निवास कहां होगा, क्योंकि उनके निवास के समय ही फल मिलता है। शिव वास से ही तय होता है कि संकल्पित अनुष्ठान शुभ होगा या अशुभ और किस समय शिव वास विचार जरूरी नहीं है। शिव वास नियम और फल शिव वास विचार क्यों है जरूरी शिव वास से तात्पर्य है भगवान शिव का निवास यानी किसी विशेष तिथि पर भगवान शिव कहां विराजमान हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार किसी कार्य विशेष के लिए की जाने वाली शिव पूजा, रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय मंत्र का जाप या अनुष्ठान से पहले शिव वास विचार जरूरी है। क्योंकि पूरे महीने भगवान शिव सात अलग-अलग स्थानों पर निवास करते हैं और इसी के आधार पर पता चलता है इस समय भगवान क्या करे रहे हैं और यह समय उनसे प्रार्थना के लिए उचित है या नहीं। आइये जानते हैं कैसे करते हैं शिव वास की गणना, पूजा में क्या है शिव वास का महत्व...
शिव वास देखने का नियम भगवान शिव के निवास का पता लगाने के लिए महर्षि नारद ने शिव वास गणना का शिव वास सूत्र बनाया था। इसके अनुसार शिव वास जानने के लिए पहले तिथि पर ध्यान दें, शुक्ल पक्ष में पहली तिथि से पूर्णिमा तक की तिथि को 1 से 15 तक का मान दें और कृष्ण पक्ष में प्रतिपदा से अमावस्या तक को 16 से 30 मान दें। इसके बाद जिस तिथि के लिए शिव वास देखना है, उसमें दो से गुणा करें, फिर गुणनफल में 5 जोड़ दें और सबसे आखिर में 7 से भाग दे दें। शेष फल जो आएगा उससे शिव वास का पता लगेगा। इसे सूत्र रूप में इस तरह पढ़ सकते हैं। तिथिं च द्विगुणी कृत्वा पुनः पञ्च समन्वितम । सप्तभिस्तुहरेद्भागम शेषं शिव वास उच्यते ।। एके कैलाश वासंद्धितीये गौरिनिधौ।। तृतीये वृषभारूढं चतुर्थे च सभास्थित। पंचमेभोजने चैव क्रीड़ायान्तुसात्मके शून्येश्मशानके चैव शिववास वास संचयोजयेत।।