कब है वैकुंठ एकादशी, इसकी कथा पढ़ने या सुनने से पूरी होती है सभी मनोकामनाएं, जानिए मुहूर्त एवं विधि
मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को वैकुंठ एकादशी कहते हैं. इसे मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को वैकुंठ एकादशी कहते हैं. इसे मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है. इस साल वैकुंठ एकादशी/ मोक्षदा एकादशी 25 दिसंबर 2020 को है. हिंदू धर्म ग्रंथों में ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रहकर और विधि विधान पूर्वक विष्णु भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा करने और व्रतकथा को पढ़ने से व्रती की सभी मनोकामना पूरी होती है तथा भगवान विष्णु उनके लिए वैकुंठ का द्वार खोल देते हैं. व्रती को स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है.
वैकुंठ एकादशी की कथा: गोकुल नाम के नगर में वैखानस नामक राजा राज्य करता था. उसके राज्य में चारों वेदों के ज्ञाता ब्राह्मण रहते थे. राजा अपनी प्रजा का पुत्रवत पालन करता था. एकबार राजा ने स्वप्न देखा कि उसके पिता नरक में हैं. प्रातः होते ही वह अपने स्वप्न के बारे में विद्वान ब्राह्मणों को बताया और राजा ने कहा- मैंने अपने पिता को नरक में कष्ट उठाते देखा है. उन्होंने मुझे से कहा कि हे पुत्र मुझे नरक से मुक्त कराओ. जब से मैंने यह शब्द सुना हूं, तब से मैं बेचैन हूं.
ब्राह्मणों ने कहा- हे राजन! यहां पास ही भूत, भविष्य, वर्तमान के ज्ञाता पर्वत ऋषि का आश्रम है. वे आपकी समस्या का हल जरूर निकालेंगें. यह सुन राजा पर्वत ऋषि के आश्रम गए और साष्टांग दंडवत करते हुए मुनि को अपनी पूरी दास्तान सुनाई.