नई दिल्ली : सनातन धर्म में त्रिपुर भैरवी जयंती को बहुत ही शुभ माना गया है। यह मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि यानी 26 दिसंबर के दिन मनाई जाएगी। इस दिन दस महाविद्या के पांचवे उग्र स्वरूप देवी भैरवी की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी भैरवी भगवान भैरव की पत्नी हैं, जो शिव जी की एक उग्र अभिव्यक्ति हैं।ऐसा कहा जाता है कि मां भैरवी की पूजा से गुप्त शत्रुओं का नाश होता है। साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
त्रिपुर भैरवी जयंती का महत्व
मां आदिशक्ति के स्वरूप त्रिपुर भैरवी की पूजा तंत्र विद्याओं में महारथ हासिल करने के लिए की जाती है। इसके अलावा देवी भैरवी की पूजा तेरह अलग-अलग रूपों में की जाती है जैस -त्रिपुर भैरवी, चैतन्य भैरवी, सिद्ध भैरवी, भुवनेश्वर भैरवी, सम्पदाप्रद भैरवी, कालेश्वरी भैरवी, कामेश्वरी भैरवी, कमलेश्वरी भैरवी, रुद्र भैरवी, भद्र भैरवी, शतकुटी भैरवी और नित्या भैरवी।
ऐसी मान्यता है कि मां का यह स्वरूप देखने में जितना विचित्र और कठोर है वे उतनी ही दयालु हैं। ऐसे में अगर आप किसी समस्याओं से लगातार जूझ रहे हैं, तो आपको देवी दुर्गा के इस उग्र स्वरूप की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
त्रिपुर भैरवी जयंती पूजा-विधि
सुबह उठकर पवित्र स्नान करें।
मंदिर को साफ करें।
एक लकड़ी की चौकी पर मां की प्रतिमा स्थापित करें।
मां को कुमकुम का तिलक लगाएं।
लाल फूलों की माला अर्पित करें।
फल, मिठाई आदि का भोग लगाएं।
मां त्रिपुर भैरवी के मंत्रों का जाप करें।
कपूर की आरती से पूजा का समापन करें।