सावन अंतिम प्रदोष : सावन का अंतिम प्रदोष और सावन का आखिरी सोमवार दोनों एक ही दिन यानी कि 28 अगस्त को हैं। जो लोग अभी तक रूद्राभिषेक या फिर भगवान शिव की पूजा से जुड़ा कोई अनुष्ठान नहीं कर पाए हैं। वे आखिरी प्रदोष पर पूजापाठ करके शिव कृपा का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। सावन का अंतिम प्रदोष व्रत 28 अगस्त सोमवार को है। सावन का महीना अब अपने आखिरी पड़ाव पर है और 30 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के साथ ही सावन समाप्त हो जाएगा। भगवान शिव की पूजा के लिए सर्वाधिक खास माने जाने वाला सावन का अंतिम प्रदोष और आखिरी सोमवार दोनों एक ही दिन यानी कि 28 अगस्त को पड़ने से यह दिन और भी खास बन रहा है। इसके अलावा इस दिन 5 शुभ योग बन रहे हैं। इन शुभ योग में भगवान शिव की पूजा करने से आपको विशेष फल की प्राप्ति होगी और हर मनोकामना सिद्ध होगी। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से। सावन के अंतिम प्रदोष की तिथि 28 अगस्त को शाम को 6 बजकर 48 मिनट से 29 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 47 मिनट तक है। नियमानुसार प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही यानी कि सूर्यास्त के बाद करने का विधान है। इसलिए अंतिम प्रदोष का व्रत 28 अगस्त को ही रखा जाएगा।
सावन के अंतिम प्रदोष पर बने हैं ये शुभ योग सावन के अंतिम प्रदोष पर 5 बेहद शुभ योग बन रहे हैं। पहला आयुष्मान योग है जो कि सूर्योदय से लेकर सुबह 9 बजकर 56 मिनट तक है। उसके बाद सौभाग्य योग सुबह 9 बजकर 56 मिनट से पूरा दिन और फिर पूरी रात तक है। इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग मध्यरात्रि 2 बजकर 43 मिनट से 29 अगस्त को सुबह 5 बजकर 57 मिनट तक है। रवि योग मध्यरात्रि 2 बजकर 43 मिनट से 29 अगस्त को सुबह 5 बजकर 57 मिनट तक है। इसके अलावा सावन के अंतिम प्रदोष के दिन सावन का आखिरी सोमवार भी है सावन के अंतिम प्रदोष की पूजाविधि प्रदोष के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और फिर शिवलिंग पर जलाभिषेक करके व्रत करने का संकल्प लें।
शाम को सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में विधि विधान से शिव परिवार की पूजा करें। दूध, दही, गंगाजल, शहद और घर से अभिषेक करें। शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा, अक्षत और आंकड़े का फूल अर्पित करें। इसके बाद मन ही मन अपनी मनोकामना दोहराएं और भगवान शिव से प्रार्थना करें।इस दिन आप अपनी श्रद्धा के अनुसार शिव तांडव स्त्रोत या फिर शिव अष्ट स्त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं। अगर आप प्रदोष का व्रत करते हैं तो अगले दिन व्रत का पारण करने के बाद जरूरतमंदों को दान जरूर करें और उसके बाद ही अन्न ग्रहण करें।