कब है जुलाई माह का पहला प्रदोष व्रत, जाने पूजा विधि और महत्व
जिस तरह एकादशी को शास्त्रों में बहुत पुण्यदायी व्रत माना गया है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| जिस तरह एकादशी को शास्त्रों में बहुत पुण्यदायी व्रत माना गया है, उसी तरह प्रदोष को भी काफी कल्याणकारी व्रत कहा गया है. प्रदोष व्रत हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को रखा जाता है. ये व्रत भगवान शिव को समर्पित है. माना जाता है कि प्रदोष व्रत कलयुग में शिव को प्रसन्न करने वाले खास व्रतों में से एक है.
जुलाई के महीने का पहला प्रदोष व्रत 7 जुलाई दिन बुधवार को पड़ रहा है. कहा जाता है कि त्रयोदशी तिथि के दिन जब भक्त भगवान शिव की पूरे दिल से प्रदोष काल के समय आराधना करते हैं, तो भगवान शिव अत्यंत आनंदित हो जाते हैं और कैलाश पर्वत के रजत भवन में आनंदित होकर तांडव करते हैं. इसलिए कहा जाता है कि त्रयोदशी के दिन जो भी भक्त प्रदोष काल में भगवान शिव की सच्चे मन से आराधना करता है, भगवान शिव उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. यहां जानिए जुलाई माह के पहले प्रदोष से जुड़ी खास बातेंं.
शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि शुरू : 07 जुलाई 2021 रात 01 बजकर 02 से
त्रयोदशी तिथि समाप्त : 08 जुलाई 2021 रात 03 बजकर 20 मिनट पर
पूजा का शुभ समय : प्रदोष काल शाम 07:12 बजे से 9:20 बजे तक
बुध प्रदोष का महत्व
दिन के हिसाब से प्रदोष व्रत का अलग अलग महत्व है. 7 जुलाई का प्रदोष बुधवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे बुध प्रदोष कहा जाएगा. बुधवार का प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव जीवन के सभी कष्टों को दूर करते हैं, घर में सुख-समृद्धि आती है. ये भी माना जाता है कि इस व्रत को रखने से परिवार के बच्चों की सेहत अच्छी रहती है और कुशाग्र बुद्धि प्राप्त होती है.
ऐसे करें पूजन
सुबह स्नान के बाद भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प लें. इसके बाद निर्जला या फलाहार व्रत रखें. इसके बाद प्रदोष काल में स्नान करें और भगवान शिव का मां पार्वती के साथ पूजन करें. सबसे पहले महादेव और मां पार्वती का जल से अभिषेक करें. उसके बाद उन्हें धूप, दीप अक्षत, रोली, मिठाई और पुष्प आदि अर्पित करें. भगवान को आक के फूल और बेलपत्र अर्पित करें. मातारानी को चुनरी और सुहाग का सामान चढ़ाएं. इसके बाद प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें और आरती करें.