Gita Jayanti गीता जयंती : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरूक्षेत्र में गीता का उपदेश दिया था। तभी से मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है। श्रीमद्भगवद्गीता विश्व का सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है। जो कोई भी इस पुस्तक को याद कर लेगा उसे जीवन में कभी कोई समस्या नहीं आएगी। जो कोई भी श्रीमद्भगवदगीता का अनुसरण करता है उसे मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म और कर्म का उपदेश दिया था। महाभारत में श्रीकृष्ण की शिक्षाओं को गीता कहा जाता है। गीता के उपदेशों में धर्म और कर्म के अनुसार जीवन जीने का महत्व बताया गया है। मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। भगवान श्री कृष्ण की पूजा और मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन व्रत रखने की भी मान्यता है। जिता जयंती पर व्रत करने से मन शुद्ध होता है और शरीर स्वस्थ रहता है। इसके अलावा, व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
गीता के कुछ चुनिंदा श्लोक-
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ॥
अर्थ है:आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग उसे जला सकती है। न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है। अर्थात भगवान कृष्ण इस श्लोक में आत्मा को अजर-अमर और शाश्वत कह रहे हैं।
''यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत I
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृज्याहम।।
अर्थ है: हे भारत (अर्जुन), जब-जब अधर्म में वृद्धि होती है, तब-तब मैं (श्रीकृष्ण) धर्म के अभ्युत्थान के लिए अवतार लेता हूं।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे ॥
अर्थ है:सज्जन पुरुषों के कल्याण के लिए और दुष्कर्मियों के विनाश के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं(श्रीकृष्ण) युगों-युगों से प्रत्येक युग में जन्म लेता आया हूं।