कब है मकर संक्रांति या उत्तरायण का पर्व, जानें महात्म

हिंदू धर्म में सूर्य देव को प्रत्यक्ष देव कहा गया है। जो प्रतिदिन साक्षात् दर्शन देकर सारे जगत में ऊर्जा का संचार करते हैं।

Update: 2022-07-11 08:15 GMT

 जनता से रिश्ता वेबडेस्क |  हिंदू धर्म में सूर्य देव को प्रत्यक्ष देव कहा गया है। जो प्रतिदिन साक्षात् दर्शन देकर सारे जगत में ऊर्जा का संचार करते हैं। धरती पर जितने तरह के भी प्राणी वास करते हैं वो सभी सूर्य देव की शक्ति से ही संचालित होते हैं। इसके साथ ही भारतीय ज्योतिष में सूर्य को नवग्रहों का स्वामी माना जाता है। मान्यता है कि सूर्य अपनी नियमित गति से राशि परिवर्तन करता है। सूर्य के इसी राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है। इस तरह साल में 12 संक्राति तिथियां पड़ती हैं। जिनमें से मकर संक्रांति सबसे महत्वपूर्ण है।आइए जानते हैं मकर संक्रांति की सही तिथि और महात्म के बारे में...

मकर संक्रांति की तिथि –
हिंदू धर्म और ज्योतिष के अनुसार सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तो इस घटना को ही मकर संक्रांति कहते हैं। सूर्य की गति नियमित होती है जिस कारण मकर संक्राति प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी के दिन मनाई जाती है। अतः इस साल भी मकर संक्रांति 14 जनवरी, 2022 को मनाई जाएगी। इस दिन शुक्रवार है। मकर संक्रांति का दिन बहुत शुभ और विशेष माना जाता है। इस दिन पूरे भारत देश में कोई न कोई त्योहार मनाया जाता है। उत्तर भारत में जहां इस दिन खिचड़ी या उत्तरायण के नाम से मनाया जाता है। तो वहीं दक्षिण भारत में इसे पोंगल और असम में बिहू के नाम के त्योहार मनाने की परंपरा है।
मकर संक्रांति का महत्व –
ज्योतिष गणना के अनुसार साल में 12 संक्रांतियां पड़ती हैं, लेकिन इनमें से मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ उत्तरायण होना शुरू हो जाता है। इसलिए ही इस दिन को उत्तरायण भी कहते हैं। इस दिन से देश में दिन बड़े और रातें छोटी होना सुरू हो जाती हैं। शीत ऋतु का प्रभाव कम होने लगता है। सूर्य की उत्तरायण स्थिति को देवताओं का दिन कहा जाता है। इस काल में लोगों देवों के आशीर्वाद से नई ऊर्जा और उत्साह से सभी मनोरथ पूरे करते हैं।इस दिन गंगा, यमुना आदि पवित्र नदियों में स्नान करना विशेष फलदायी माना जाता है।


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