हर माह में दो बार त्रयोदशी तिथि पड़ती है। एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। त्रयोदशी तिथि भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है। सप्ताह के जिस दिन त्रयोदशी तिथि होती है, उसी के आधार पर प्रदोष व्रत का नाम भी पड़ता है। शास्त्रों में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। इस बार मार्गशीर्ष माह का पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष में सोमवार को पड़ रहा है। इस कारण इसे सोम प्रदोष व्रत कहते हैं। सोम प्रदोष के दिन ही कुछ विशेष योग भी बन रहे हैं। आइए जानते हैं प्रदोष की तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।