कब है शीतला अष्टमी, जानिए इसकी शुभ मुहूर्त तथा महत्व

हर वर्ष होली के आठवें दिन यानि चैत्र मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है।

Update: 2021-03-31 01:03 GMT

 हर वर्ष होली के आठवें दिन यानि चैत्र मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है। इस बार यह व्रत 4 अप्रैल 2021 को पड़ रहा है। शीतला अष्टमी को बसोड़ा भी कहा जाता है। अष्टमी तिथि से एक दिन पहले यानी सप्तमी तिथइ को ही शीतला अष्टमी के लिए प्रसाद का भोजन बनाया जाता है उसे बसौड़ा कहा जाता है। इस दिन लोग भी बासी भोजन ही खाते हैं। शीतला अष्टमी पर माता शीतला को मुख्य रूप से दही, राबड़ी, चावल, हलवा, पूरी, गुलगुले का भोग लगाया जाता है। इसी को स्वयं भी ग्रहण किया जाता है। तो आइए जानते हैं कि शीतला अष्टमी की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।

शीतला अष्टमी तिथि और शुभ मुहूर्त:
4 अप्रैल 2021, रविवार
चैत्र मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि
अष्टमी तिथि आरंभ- 4 अप्रैल 2021 को सुबह 04 बजकर 12 मिनट से
अष्टमी तिथि समाप्त- 05 अप्रैल 2021 को प्रातः 02 बजकर 59 मिनट तक

 हर वर्ष होली के आठवें दिन यानि चैत्र मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है। इस बार यह व्रत 4 अप्रैल 2021 को पड़ रहा है। शीतला अष्टमी को बसोड़ा भी कहा जाता है। अष्टमी तिथि से एक दिन पहले यानी सप्तमी तिथइ को ही शीतला अष्टमी के लिए प्रसाद का भोजन बनाया जाता है उसे बसौड़ा कहा जाता है। इस दिन लोग भी बासी भोजन ही खाते हैं। शीतला अष्टमी पर माता शीतला को मुख्य रूप से दही, राबड़ी, चावल, हलवा, पूरी, गुलगुले का भोग लगाया जाता है। इसी को स्वयं भी ग्रहण किया जाता है। तो आइए जानते हैं कि शीतला अष्टमी की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व।

शीतला अष्टमी तिथि और शुभ मुहूर्त:

4 अप्रैल 2021, रविवार

चैत्र मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि

अष्टमी तिथि आरंभ- 4 अप्रैल 2021 को सुबह 04 बजकर 12 मिनट से

अष्टमी तिथि समाप्त- 05 अप्रैल 2021 को प्रातः 02 बजकर 59 मिनट तक

पूजा मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 08 मिनट से लेकर शाम को 06 बजकर 41 मिनट तक

पूजा की कुल अवधि- 12 घंटे 33 मिनट

शीतला अष्टमी का महत्व:

मान्यता है कि शीतला अष्टमी से ही ग्रीष्मकाल की शुरुआत हो जाती है। इस दिन से ही मौसम तेजी से गर्म होने लगता है। शीतला माता के स्वरूप को शीतलता प्रदान करने वाला कहा गया है। सिर्फ यही नहीं, कहा जाता है कि माता शीतला का व्रत करने से चेचक, खसरा व नेत्र विकार जैसी समस्याएं ठीक हो जाती हैं। यह व्रत रोगों से मुक्ति दिलाकर आरोग्यता प्रदान करता है। 

पूजा मुहूर्त- सुबह 06 बजकर 08 मिनट से लेकर शाम को 06 बजकर 41 मिनट तक
पूजा की कुल अवधि- 12 घंटे 33 मिनट
शीतला अष्टमी का महत्व:
मान्यता है कि शीतला अष्टमी से ही ग्रीष्मकाल की शुरुआत हो जाती है। इस दिन से ही मौसम तेजी से गर्म होने लगता है। शीतला माता के स्वरूप को शीतलता प्रदान करने वाला कहा गया है। सिर्फ यही नहीं, कहा जाता है कि माता शीतला का व्रत करने से चेचक, खसरा व नेत्र विकार जैसी समस्याएं ठीक हो जाती हैं। यह व्रत रोगों से मुक्ति दिलाकर आरोग्यता प्रदान करता है।


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