मीन संक्रांति कब है? इस दिन सूर्य उपासना का है विशेष महत्व, जानें सूर्य की पूजा का तरीका

सूर्य 12 राशियों में प्रवेश करते हैं और ये क्रम मेष राशि से शुरू होकर मीन राशि पर समाप्त होता है.

Update: 2022-03-12 17:40 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सनातन धर्म में संक्रांति का विशेष महत्व है. सूर्य का किसी दूसरी राशि में प्रवेश संक्रांति कहलाता है. और जिस राशि में सू्र्य प्रवेश करता है उसे उसी नाम से जाना जाता है. 14 मार्च को सूर्य मीन राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं. 14-15 मार्च की मध्यरात्रि में सूर्य मीन राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं. मीन संक्रांति का खास महत्व है. ज्योतिषीयों की मानें तो सूर्य 12 राशियों में प्रवेश करते हैं और ये क्रम मेष राशि से शुरू होकर मीन राशि पर समाप्त होता है.

सूर्य की मीन संक्रांति का पुण्यकाल सुबह सूर्योदय से शुरू होगा और सुबह 8 बजकर 16 मिनट तक होगा. संक्रांति के दौरान पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाई जाती है. इस दिन स्नान-दान का भी विशेष महत्व है. आइए जानते हैं मीन संक्रांति के दिन सूर्य की उपासना कैसे की जाती है.
कब है मीन संक्रांति?
14 मार्च को सूर्य की मीन संक्रांति है. इस दिन सूर्य रात 12:16 मिनट में कुंभ राशि से निकलेंगे और मीन राशि में प्रवेश करेंगे. मीन राशि में सूर्य 14 अप्रैल की सुबह 8:43 मिनट तक रहेंगे. मीन संक्रांति का महापुण्य काल 15 मार्च सुबह 6:31 मिनट से सुबह 8:31 मिनट तक रहेगा.
इस दिन यूं करें सूर्य देव की उपासना
मीन संक्रांति के दिन गंगा या गोदावरी नदी में स्नान का खास महत्व बताया गया है. अगर किसी वजह से आप नदियों में स्नान के लिए जा सकते, तो घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल डालकर स्नान कर लें.
इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है. इस दिन उगते सूर्य को तांबा के लोटे में जल भरकर अर्घ्य दें. इससे स्वास्थ्य लाभ तो होता ही है. इससे नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है.
मीन संक्रांति के दिन भगवान सूर्य के मंत्रों का जाप करें साथ ही आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें.
संक्रांति के दौरान दान का भी विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन सामर्थ्य अनुसार वस्त्र, तिल और अनाज का दान करें.
इस दिन गाय को चारा खिलाना भी शुभ माना जाता है.


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