कब है फुलेरा दूज? जानिए इस त्योहार के सबसे महत्वपूर्ण कथा

फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज मनाई जाती है।

Update: 2021-02-25 07:17 GMT

जनता से रिश्ता बेवङेस्क | फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज मनाई जाती है। होली से पहले आने वाली इस दूज से कृष्ण मंदिरों में फाल्गुन का रंग चढ़ने लगता है। इस पर्व का महत्व शादियों को लेकर भी है। होली से करीब पंद्रह दिन पहले शादियों का शुभ मुहूर्त समाप्त हो जाता है। जबकि फुलेरा दूज के दिन हर पल शुभ होता है। यह तिथि भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होती है। इस साल फुलेरा दूज 15 मार्च 2021 (सोमवार) को है।

शाब्दिक अर्थ में फुलेरा का अर्थ है फूल, जो फूलों को दर्शाता है। यह माना जाता है कि भगवान कृष्ण फूलों के साथ खेलते हैं और फुलेरा दूज की शुभ पूर्व संध्या पर होली के त्योहार में भाग लेते हैं। यह त्योहार लोगों के जीवन में खुशियां और उल्लास लाता है।

फुलेरा दूज का शुभ मुहूर्त-

द्वितीया तिथि प्रारंभ- 17:10- 14 मार्च 2021

द्वितीया तिथि समाप्त- 18:50- 15 मार्च 2021

पोहा का बनता है भोग-

फुलेरा दूज के दिन भगवान श्रीकृष्ण के लिए स्पेशल भोग तैयार किया जाता है। जिसमें पोहा और अन्य विशेष व्यजंन शामिल हैं। भोजन पहले देवता को अर्पित किया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में सभी भक्तों में वितरित किया जाता है। इस दिन किए जाने वाले दो प्राथमिक अनुष्ठान समाज में रसिया और संध्या आरती हैं।

अबूझ मुहूर्त है फुलेरा दूज-

इस त्योहार को सबसे महत्वपूर्ण और शुभ दिनों में से एक माना जाता है। इस दिन किसी भी तरह के हानिकारक प्रभावों और दोषों से प्रभावित नहीं होता है और इसे अबूझ मुहूर्त माना जाता है। सर्दी के मौसम के बाद इसे शादियों के सीजन का अंतिम दिन माना जाता है। इसलिए इस दिन रिकॉर्ड तोड़ शादियां होती हैं। इसका अर्थ है कि विवाह, संपत्ति की खरीद इत्यादि सभी प्रकार के शुभ कार्यों को करने के लिए दिन अत्यधिक पवित्र है। शुभ मुहूर्त पर विचार करने या किसी विशेष शुभ मुहूर्त को जानने के लिए पंडित से परामर्श करने की आवश्यकता नहीं है। उत्तर भारत के राज्यों में, ज्यादातर शादी समारोह फुलेरा दूज की पूर्व संध्या पर होते हैं। लोग आमतौर पर इस दिन को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए सबसे समृद्ध पाते हैं।

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