कब है मोहिनी एकादशी? जानें महत्व एवं व्रत पारण का समय

वैशाख मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं।

Update: 2021-05-16 06:05 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क|  वैशाख मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत को राक्षसों से बचाने के लिए मोहिनी रूप धारण किया था। इसलिए इस दिन भगवान श्रीहरि के मोहिनी स्वरूप की पूजा का विधान है।

लोगों के बीच आस्था है कि मोहिनी एकादशी का व्रत व पूजन करने से व्यक्ति के पापों का अंत होता है। भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होने की भी मान्यता है। इस साल मोहिनी एकादशी 23 मई को है। जानिए मोहिनी एकादशी का महत्व, पूजा का समय और व्रत से जुड़ी खास बातें-
मोहिनी एकादशी महत्व-
भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा करने से भक्त के पापों का अंत होता है। इसी के साथ उसे अंत में मोक्ष की प्राप्ति होने की मान्यता है।
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मोहिनी एकादशी 2021 शुभ मुहूर्त-
एकादशी तिथि प्रारम्भ : 22 मई 2021 को सुबह 09:15 बजे से
एकादशी तिथि समाप्त : 23 मई 2021 को सुबह 06:42 बजे तक
पारणा मुहूर्त : 24 मई सुबह 05:26 बजे से सुबह 08:10 बजे तक
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मोहिनी एकादशी पूजा विधि-
एकादशी के दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्‍नान करने के बाद साफ वस्‍त्र धारण करके एकादशी व्रत का संकल्‍प लें।
- उसके बाद घर के मंदिर में पूजा करने से पहले एक वेदी बनाकर उस पर 7 धान (उड़द, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा) रखें।
- वेदी के ऊपर एक कलश की स्‍थापना करें और उसमें आम या अशोक के 5 पत्ते लगाएं।
- अब वेदी पर भगवान विष्‍णु की मूर्ति या तस्‍वीर रखें।
- इसके बाद भगवान विष्‍णु को पीले फूल, ऋतुफल और तुलसी दल समर्पित करें।
- फिर धूप-दीप से विष्‍णु की आरती उतारें।
- शाम के समय भगवान विष्‍णु की आरती उतारने के बाद फलाहार ग्रहण करें।
- रात्रि के समय सोए नहीं बल्‍कि भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें।
- अगले दिन सुबह किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और यथा-शक्ति दान-दक्षिणा देकर विदा करें।
- इसके बाद खुद भी भोजन कर व्रत का पारण करें।
मोहिनी एकादशी व्रत कथा-
पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत से भरा कलश निकला। इस कलश को लेकर देवताओं और असुरों के बीच झगड़ा होने लगा कि कौन पहले अमृत पिएगा। अमृत को लेकर दोनों पक्षों में युद्ध की स्थिति आ गई। तभी भगवान विष्णु मोहिनी नामक सुंदर स्त्री का रूप लेकर प्रकट हुए और दैत्यों से अमृत कलश लेकर सारा अमृत देवताओं को पिला दिया। जिससे देवता अमर हो गए। मान्यता है कि भगवान विष्णु ने जिस दिन मोहिनी रूप धारण किया था, उस दिन वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी थी। इसलिए इस दिन को मोहिनी एकादशी कहा जाता है।


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