कब है मोहिनी एकादशी, और क्या है इसका महत्व

व्रत रहने वाले व्यक्ति के लिए इसके नियम व्रत की एक रात पहले से ही शुरू हो जाते हैं.

Update: 2021-05-15 08:51 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क  | व्रत रहने वाले व्यक्ति के लिए इसके नियम व्रत की एक रात पहले से ही शुरू हो जाते हैं. दशमी तिथि के दिन सात्विक भोजन करें. भोग-विलास की भावना त्यागकर भगवान विष्णु का स्मरण करें. एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान नारायण का विधि विधान से पूजन करें. उन्हें चंदन, अक्षत, पंचामृत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य और फल चढ़ाएं. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और मोहिनी एकादशी व्रत कथा पढ़ें. इसके बाद आरती करके क्षमा याचना करें. दिन भर व्रत नियमों का पालन करें और अगले दिन व्रत का पारण करें. एकादशी के दिन गीता का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है.


ये है कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार जब देवताओं और असुरों के बीच जब समुद्र मंथन हुआ तो मंथन के दौरान अमृत से भरा कलश निकला. इस कलश को लेकर देवताओं और असुरों के बीच झगड़ा होने लगा कि कौन पहले अमृत पिएगा. दोनों के बीच युद्ध की स्थिति आ गई. तभी भगवान विष्णु मोहिनी नामक सुंदर स्त्री का रूप लेकर प्रकट हुए और दैत्यों से अमृत कलश लेकर सारा अमृत देवताओं को पिला दिया. इससे देवता अमर हो गए. मान्यता है कि जिस दिन भगवान नारायण ने ये रूप धारण किया था, उस दिन वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन था. तब से इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाने लगा और इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की पूजा की जाने लगी.


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