कब है कार्तिक पूर्णिमा? जानें पूजन विधि और महत्व
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा कहलाती है. इस दिन गंगा स्नान, दीपदान, यज्ञ और ईश्वर की उपासना की जाती है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2020) कहलाती है. इस दिन गंगा स्नान, दीपदान, यज्ञ और ईश्वर की उपासना की जाती है. इस दिन किए जाने वाले दान-पुण्य समेत कई धार्मिक कार्य विशेष फलदायी होते हैं. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा की संध्या पर भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था. एक अन्य मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन महादेव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था, इसलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा (Tripuri Purnima) भी कहते हैं. इस बार कार्तिक पूर्णिमा 30 नवंबर को सोमवार के दिन है.
कार्तिक पूर्णिमा व्रत की पूजन विधि
पूर्णिमा के दिन सुबह किसी पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है. स्नान के बाद राधा-कृष्ण का पूजन और दीपदान करना चाहिए. मान्यता है कि इस दिन गाय, हाथी, घोड़ा, रथ और घी का दान करने से संपत्ति बढ़ती है और भेड़ का दान करने से ग्रहयोग के कष्टों दूर होते हैं. कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा का व्रत करने वाले अगर बैल का दान करें तो उन्हें शिव पद प्राप्त होता है. कार्तिक पूर्णिमा का व्रत रखने वालों को इस दिन हवन जरूर करना चाहिए और किसी जरुरतमंद को भोजन कराना चाहिए.
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दान करना दस यज्ञों के समान पुण्यकारी माना जाता है. शास्त्रों में इसे महापुनीत पर्व कहा गया है. कृतिका नक्षत्र पड़ जाने पर इसे महाकार्तिकी कहते हैं. कार्तिक पूर्णिमा अगर भरणी और रोहिणी नक्षत्र में होने से इसका महत्व और बढ़ जाता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही देव दीपावली भी मनाई जाती है
कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
कार्तिक पूर्णिमा की तिथि- 30 नवंबर
पूर्णिमा तिथि आरंभ- 29 नवंबर को रात 12 बजकर 49 मिनट से आरंभ
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 30 नवंबर को दोपहर 3 बजे तक