सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि हर महीने पड़ती हैं अमावस्या तिथि माह के आरंभ में आती हैं तो वही पूर्णिमा माह के समापन के समय पड़ती हैं अभी ज्येष्ठ माह चल रहा है और इस महीने का अंत भी पूर्णिमा के साथ हो जाएगा। पूर्णिमा तिथि पर स्नान दान और पूजा पाठ का खास महत्व होता हैं मान्यता है कि इस दिन उपवास रखकर देवी देवताओं की पूजा करने से धन, समृद्धि, सफलता और संतान प्राप्ति की इच्छा पूर्ण हो जाती हैं।
पूर्णिमा तिथि पर धन की देवी महा लक्ष्मी की पूजा उत्तम फलदायी मानी जाती हैं इसके साथ ही पूर्णिमा की रात्रि में अगर चंद्रमा को जल अर्पित किया जाए तो मानसिक तनाव से जातक को मुक्ति मिलती हैं। ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को ज्येष्ठ पूर्णिमा, जेठपूर्णमासी के नाम से जाना जाता हैं तो आज हम आपको पूर्णिमा तिथि और मुहूर्त बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि और मुहूर्त—
धार्मिक पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि 3 जून को सुबह 11 बजकर 16 मिनट से आरंभ हो रही हैं और अगले दिन यानी 4 जून को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। 3 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा का अधिक समय प्राप्त हो रहा हैं।
ऐसे में इस दिन उपवास रखना उत्तम रहेगा। साथ ही इसी दिन चंद्र देव की पूजा और उन्हें जल अर्पित किया जाएगा। इसके अलावा 4 जून दिन रविवार को ज्येष्ठ पूर्णिमा का स्नान दान करना लाभकारी रहेगा। मान्यता है कि पूर्णिमा पर पवित्र नदियों और तीर्थ स्थलों पर स्नान दान के कार्य करने से सौभाग्य में वृद्धि होती हैं।