कब है होली, जानें होलिका दहन की तिथि

हिंदू धर्म में होली का महत्व बहुत अधिक है। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली (Holi 2021) का पर्व मनाया जाता है|

Update: 2021-02-04 05:04 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेसक | हिंदू धर्म में होली का महत्व बहुत अधिक है। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली (Holi 2021) का पर्व मनाया जाता है। दो दिन पड़ने वाले इस रंगों का त्योहार को हर घर में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। होलिका दहन को लेकर माना जाता है कि इस दिन अंहकार, बुराई और नकारात्मक शक्तियों को पवित्र आग में जला दिया जाता है। जिससे घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती हैं। इस बार होली 28 और 29 मार्च को मनाई जाएगी।

आपको बता दें कि होली पर्व का त्योहार बसंत पंचमी के दिन से शुरू हो जाता है। इस मौके पर जिस जगह पर होलिका दहन (Holika Dahan 2021) किया जाता है वहां पर ढोल-नगाड़ों के साथ पंडित जाकर विधिवत तरीके से पूजा-अर्चना करके एक लकड़ी रखी जाती है। जिससे साथ ही वहां पर लोग होलिका दहन होने कर लकड़ी इकट्ठा करते रहते हैं। जिसके बाद शुभ मुहूर्त में होलिका दहन की जाती हैं
होली 2021 का कैलेंडर (Holi 2021 Calender)
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ- 28 मार्च सुबह 3 बजकर 27 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 29 मार्च रात 12 बजकर 17 मिनट पर
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त (Halika Dahan Shubh Muhurat)
तिथि- 28 मार्च
दहन का मुहूर्त– शाम 6 बजकर 37 मिनट से रात 8 बजकर 56 मिनट तक
रंगवाली होली खेलने की तिथि- 29 मार्च
होली मनाने का कारण (Holika Dahan Katha)
शास्त्रों में इस दिन होली मनाने के पीछे कई पौराणिक कथा दी गई है। लेकिन इन सबमें सबसे ज्यादाभक्त प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की कहानी प्रचलित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बुराई पर अच्छाई की जीत को याद करते हुए होलिका दहन किया जाता है।
कथा के अनुसार असुर हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, लेकिन यह बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी। बालक प्रह्लाद को भगवान कि भक्ति से विमुख करने का कार्य उसने अपनी बहन होलिका को सौंपा, जिसके पास वरदान था कि अग्नि उसके शरीर को जला नहीं सकती।
भक्तराज प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से होलिका उन्हें अपनी गोद में लेकर अग्नि में प्रविष्ट हो गयी, लेकिन प्रह्लाद की भक्ति के प्रताप और भगवान की कृपा के फलस्वरूप खुद होलिका ही आग में जल गई। अग्नि में प्रह्लाद के शरीर को कोई नुकसान नहीं हुआ। इस प्रकार होली का यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।


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