सनातन धर्म में वैसे तो कई पर्व त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता हैं लेकिन गुरु पूर्णिमा बेहद ही खास मानी जाती हैं जो कि आषाढ़ माह की पूर्णिमा को पड़ती हैं इसी दिन महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। आपको बता दें कि गुरु पूर्णिमा को वेदव्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता हैं।
वेद व्यास जी ने ही मानव जाति को पहली बार चारों वेदों का ज्ञान प्रदान किया था। यही कारण है कि इन्हें प्रथम गुरु भी माना जाता हैं। अभी आषाढ़ का महीना चल रहा है और इस महीने पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को आषाढ़ पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता हैं। इस दिन को श्रद्धा भाव के साथ मनाया जाता हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा गुरु पूर्णिमा की तारीख और पूजा विधि बता रहे हैं, तो आइए जानते हैं।
गुरु पूर्णिमा की तारीख—
धार्मिक पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 2 जुलाई को रात्रि 8 बजकर 21 मिनट पर हो रहा है और इसका समापन अगले दिन यानी 3 जुलाई को शाम 5 बजकर 8 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में इस साल गुरु पूर्णिमा का पर्व 3 जुलाई दिन सोमवार को मनाना उत्तम रहेगा।
पूजन की संपूर्ण विधि—
आपको बता दें कि गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा करना उत्तम माना जाता है इसके लिए इस दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें और साफ वस्त्रों को धारण करें फिर घर के पूजन स्थल में लगे देवी देवताओं की प्रतिमा को प्रणाम करते हुए उनकी विधिवत पूजा करें इसके बाद पूजन स्थल पर रखें अपने गुर की तस्वीर को माला पुष्प अर्पित कर उनका तिलक करें। पूजन के बाद गुरु के घर जाकर उनके पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें। मान्यता है कि इस विधि से अगर गुरु पूर्णिमा की तिथि पर पूजा की जाए तो जातक को उत्तम फलों की प्राप्ति होती हैं।