कब है गुड़ी पड़वा, जानें महत्व और पूजा विधि
हिंदू धर्म में चैत्र महीने की शुरुआत हो चुकी हैं. इस महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को उगादि भी कहते हैं
हिंदू धर्म में चैत्र महीने की शुरुआत हो चुकी हैं. इस महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को उगादि भी कहते हैं. हिंदू धर्म में माना जाता है कि चैत्र मास से नववर्ष की शुरुआत होती है. खासकर महाराष्ट्र में हिंदू नववर्ष को गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को फसल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है.
चैत्र महीने में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है. इस बार गुड़ी पड़वा का त्योहार 13 अप्रैल को मनाया जाएगा. इस दिन घर में तरह- तरह के पकवान बनाए जाते हैं. भगवान ब्रह्मा और विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है.
कैसे मनाया जाता है गुड़ी पड़वा
महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा को विशेषतौर से मनाया जाता है. इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं. इस त्योहार को दोस्तों, परिवार के सदस्य और रिश्तेदारों के साथ धूमधाम से मनाते हैं. इस खास दिन पर पुरन पोली और श्रीखंड बनाया जाता है. इसके अलावा मीठे चावल बनाएं जाते हैं जिसे सक्कर भात कहा जाता है. सूर्योदय के साथ भगवान ब्रह्मा को इन सभी चीजों का भोग लगाया जाता है.
गुड़ी पड़वा का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्रतिपदा तिथि के दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था. इस दिन भगवान ब्रह्मा की विधि विधान से पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन पूजा- पाठ करने से सभी बुराईयों का नाश हो जाता है और घर में सुख-समृद्धि आती है.
गुड़ी पड़वा की तिथि और शुभ मुहूर्त
गुड़ी पड़वा का त्योहार – 13 अप्रैल 2021
प्रतिपदा तिथि की शुरुआत- 12 अप्रैल 2021 को रात 8 बजे
गुड़ी पड़वा की पूजा विधि
1. गुड़ी पड़वा का अनुष्ठान सूर्योदय से पहले किया जाता है. इस दिन सुबह- सुबह उठकर तेल लगाकर स्नान करते हैं.
2. इसके बाद घर के मुख्यद्वार को आम के पत्तों और फूलों से सजाया जाता है.
3. इसके बाद घर के एक हिस्से में गुड़ी लगाई जाती है. आम के पत्तों, पील कपड़े और फूलों से गुड़ी को सजाया जाता है.
4. फिर लोग भगवान ब्रह्मा की पूजा करते हैं और गुड़ी फहराते हैं.
5. गुड़ी फहराने के बाद भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना होती है.