कब है दही हांडी उत्सव? जानें तारीख

दही हांडी उत्सव (Dahi Handi) श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami) के अगले दिन यानि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है.

Update: 2022-08-18 08:46 GMT

दही हांडी उत्सव (Dahi Handi) श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami) के अगले दिन यानि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है. इस साल जन्माष्टमी 18 अगस्त को मनाई जा रही है, लेकिन मथुरा में जन्माष्टमी 19 अगस्त को मनाई जाएगी. हालांकि दही हांडी का उत्सव 19 अगस्त को मनाया जाएगा. दही हांडी उत्सव मुख्यत: महाराष्ट्र और गोवा में होता है, लेकिन अब देश के कुछ अन्य हिस्सों में भी इसका आयोजन होता है. महाराष्ट्र में दही हांडी उत्सव को गोपालकाला के नाम से जानते हैं. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं दही हांडी उत्सव के दिन बनने वाले योग और इसके महत्व के बारे में.

दही हांडी उत्सव 2022
तारीख: 19 अगस्त, दिन शुक्रवार
इस दिन रात 10:59 बजे तक भाद्रपद मा​ह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि रहेगी, उसके बाद से नवमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी. 18 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जा रही है, इसलिए दही हांडी उत्सव 19 अगस्त को होगा.
ध्रुव योग में दही हांडी उत्सव
इस बार दही हांडी उत्सव के दिन ध्रुव योग बना हुआ है. यह योग प्रात:काल से लेकर रात 09 बजे तक रहेगा. यह योग मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है.
क्या है दही हांड़ी उत्सव
दही हांड़ी उत्सव के दिन बड़े खाली स्थान पर या चौक-चौराहों पर काफी ऊंचाई पर एक मटकी रस्सी की मदद से लटका दी जाती है. इस मटकी को दही, मक्खन, छाछ आदि डालकर भर दिया जाता है. इस मटकी को तोड़ने के लिए गोविंदा की टोलियां आती हैं. इसमे शामिल युवा पिरामिड बनाकर मटकी तक पहुंचते हैं. जो व्यक्ति इस मटकी को भोड़ता है, उसे गोविंदा कहते हैं. जो टीम पहले मटकी को फोड़ देती है, उसे पुरस्कार भी दिया जाता है
दही हांड़ी का इतिहास और महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का बचपन नंद बाबा के गांव गोकुल में व्यतीत हुआ. बचपन में भगवान श्रीकृष्ण काफी नटखट और शरारती थे. उनको माखन, दूध, दही आदि बहुत ही पसंद था. कई बारे वे चोरी करके भी इन्हें खाते थे.
अक्सर वे अपने बाल गोपाल की टोली के साथ गांव की गोपियों के घरों में चोरी से पहुंच जाते थे. उनके माखन, दूध, दही खाकर खत्म कर देते थे, इतना ही नहीं उनकी मटकी भी तोड़ देते थे. इसकी शिकायत वे यशोदा मैया से करती थीं.
माखन, दूध, दही आदि को भगवान श्रीकृष्ण की पहुंच से दूर रखने के लिए गोपियां अपने घरों में रस्सी की मदद से हांडी या मटकियों को काफी ऊंचाई पर लटका देती थीं. लेकिन श्रीकृष्ण से वह भी नहीं बचता था. वे बाल सखाओं की मदद से पिरामिड बनाकर माखन, दूध, दही आदि की मटकियों तक पहुंच जाते थे और उन्हें खाकर खत्म कर देते थे. यहीं से शुरू हुआ दही हांडी उत्सव.


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