कब मनाई जाती है भीष्म अष्टमी ?

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी ति​थि को भीष्म अष्टमी मनाई जाती है

Update: 2022-01-21 14:23 GMT

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी ति​थि को भीष्म अष्टमी मनाई जाती है. इस तिथि के दिन ही पितामह भीष्म (Pitamah Bhishma) ने अपने प्राण त्याग किए थे. महाभारत (Mahabharat) के युद्ध में कौरवों की ओर से लड़ते हुए पितामह भीष्म ने वीरगति को प्राप्त किया था. जब उनको बाण लगे थे, तब सूर्य दक्षिणायन थे. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो लोग उत्तरायण में अपने प्राण त्यागते हैं, उनको जीवन-मृत्यु के चक्र से छुटकारा मिल जाता है, वे मोक्ष को प्राप्त करते हैं. सूर्य देव मकर संक्रांति के दिन उत्तरायण (Uttarayan) होते हैं. पितामह भीष्म ने सूर्य के उत्तरायण होने के बाद माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को अपने प्राण त्याग दिए. आइए जानते हैं कि इस वर्ष भीष्म अष्टमी कब है?

भीष्म अष्टमी 2022 तिथि एवं मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी ति​थि का प्रारंभ 08 फरवरी दिन मंगलवार को प्रात: 06 बजकर 15 मिनट से हो रहा है. इस तिथि का समापन 09 फरवरी दिन बुधवार को सुबह 08 बजकर 30 मिनट पर होगा. ऐसे में भीष्म अष्टमी 08 फरवरी को मनाई जाएगी.
दृक पंचांग के अनुसार भीष्म अष्टमी का मुहूर्त दिन में 11 बजकर 29 मिनट से दोपहर 01 बजकर 42 मिनट तक है. भीष्म अष्टमी के दिन लोग एकोदिष्ट श्राद्ध करते हैं. इस दिन वे लोग श्राद्ध कर्म करते हैं, जिनके पिता जीवित नहीं हैं. हालांकि यह भी मान्यता है कि भीष्म अष्टमी के दिन कोई भी व्यक्ति एकोदिष्ट श्राद्ध करा सकता है.
भीष्म अष्टमी का महत्व
पितामह भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान मिला था. उनके प्राण तब तक नहीं निकल सकते थे, जब तक कि उनकी अपनी इच्छा न हो. इस वजह से उन्होंने अपने प्राण त्यागने के लिए उत्तरायण के बाद माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की प्रतीक्षा की.


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