कब है मेष संक्रांति? नए सौर कैलेंडर वर्ष का प्रारंभ

सूर्य अभी मीन राशि में है. एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करने की घटना को संक्रांति कहते हैं

Update: 2022-04-07 13:31 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।सूर्य अभी मीन राशि में है. एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करने की घटना को संक्रांति कहते हैं. सौर कैलेंडर में सूर्य की संक्रांति का बड़ा ही महत्व है क्योंकि इस दिन से ही नए माह का प्रारंभ होता है. अब सूर्य की मेष संक्रांति आने वाली है. मेष संक्रांति से सौर कैलेंडर के नए वर्ष का प्रारंभ होता है. सूर्य की संक्रांति पर नदियों में स्नान करने और दान करने की परंपरा है. ऐसा करने से पुण्य प्राप्त होता है और सूर्य पूजा से सफलता, धन, धान्य, संतान सुख आदि की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं कि मेष संक्रांति कब है? इस का पुण्य काल और महा पुण्य काल कब है?

मेष संक्रांति 2022
पंचांग के अनुसार, सूर्य का मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश 14 अप्रैल दिन गुरुवार को होगा. जिस समय सूर्य देव मेष में प्रवेश करेंगे, उस समय मेष संक्रांति होगी. मेष संक्रांति का समय 14 अप्रैल को सुबह 08:56 बजे है.
मेष संक्रांति 2022 पुण्य काल
14 अप्रैल को मेष संक्रांति का पुण्य काल 7 घंटे 15 मिनट का होगा. इसका प्रारंभ सुबह 05 बजकर 57 मिनट से होगा, जो दोपहर 01 बजकर 12 तक रहेगा.
मेष संक्रांति 2022 महा पुण्य काल

इस दिन मेष संक्रांति का महा पुण्य काल 04 घंटे 16 मिनट का होगा. महा पुण्य काल सुबह 06 बजकर 48 मिनट पर शुरु होगा और इसका समापन 11 बजकर 04 मिनट पर होगा
मेष संक्रांति 2022 स्नान दान
मेष संक्रांति का स्नान और दान सुबह से ही प्रारंभ हो जाएगा, लेकिन महा पुण्य काल में स्नान और दान करना ज्यादा फलदायी रहेगा. इस दिन सूर्य देव की पूजा करें. उनको लाल फूल, लाल चंदन, अक्षत् और शक्कर पानी में मिलाकर अर्पित करें. गरीब या ब्राह्मण को गेहूं, लाल चंदन, लाल वस्त्र, घी, गुड़ आ​दि का दान कर सकते हैं. सूर्य देव की कृपा से आपकी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी.
मेष संक्रांति से नया सौर वर्ष
मेष संक्रांति से सौर कैलेंडर का नया साल शुरु होता है. मेष इसका पहला माह और मीन 12वां माह है. इस कैलेंडर में भी 12 माह होते हैं. 12 राशियां ही इसके 12 माह हैं.
मेष संक्रांति के कई नाम
मेष संक्रांति को देश में कई अलग अलग नामों से जानते हैं. पंजाब में मेष संक्रांति को बैसाखी कहते हैं, जबकि असम में बिहु, केरल में विशु, बंगाल में पोहला बोइशाख कहते हैं.


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