परिवर्तनी एकादशी पर भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन क्या करें क्या न करें
परिवर्तनी एकादशी को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र और महत्वपूर्ण से माना जाता है। इस एकादशी को डोल ग्यारस, पद्मा एकादशी और जलझूलनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि भगवान नारायण इस दिन काफी ज्यादा प्रसन्न मुद्रा में होते हैं। इस दिन की गई पूजा अर्चना, भजन- कीर्तन से वह अतिशीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन जगत के पालनहार श्रीनारायण निद्रा में अपनी करवट बदलते हैं। इसी के साथ इस दिन सृष्टि के संचालक अर्थात श्री हरि विष्णु समेत उनकी पूज्य अर्धांगिनी अर्थात देवी लक्ष्मी की भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार इस एकादशी को सूर्योदय से पूर्व स्नान करके अर्घ्य, व्रत, जप-तप, पूजन, कीर्तन एवं दान-पुण्य करने से स्वयं भगवान विष्णु, प्राणियों को ब्रह्मघात और अन्य कृत्या-कृत्य पापों से मुक्त करके जीव को शुद्ध कर देते हैं। यदि आप व्रत रख रहे हैं तो चलिए आपको बताते हैं कि इस दिन आप भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए क्या करें और क्या नहीं करें।
एकादशी के दिन क्या करें
इस दिन भगवान विष्णु का अभिषेक केसर मिश्रित पंचामृत से करें और उन्हें पीली मिठाई का भोग लगाएं। ऐसा करने से भगवान् विष्णु आप पर अपनी कृपा बनाए रखेंगे।
इस एकादशी को श्री हरि को प्रिय तुलसी की मंजरी तथा पीला चन्दन,रोली,अक्षत,पीले पुष्प,ऋतु फल एवं धूप-दीप,मिश्री आदि से भगवान दामोदर का भक्ति-भाव से पूजन करना चाहिए।इस दिन तुलसी के पत्र नहीं तोड़ने चाहिए,शास्त्रों में ऐसा करना वर्जित बताया गया है।
एकादशी के दिन गीता पाठ,विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ व 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जप करने से प्राणी पापमुक्त-कर्जमुक्त होकर विष्णुजी की कृपा पाता है ।
रात्रि के समय भगवान नारायण की प्रसन्नता के लिए नृत्य,भजन-कीर्तन और स्तुति के द्वारा जागरण करना चाहिए।जागरण करने वाले को जिस फल की प्राप्ति होती है,वह हज़ारों वर्ष तपस्या करने से भी नहीं मिलता।
व्रत की सिद्धि के लिए भगवान विष्णु के समक्ष घी का अखंड दीपक जलाएं एवं दीपदान करना शुभ माना गया है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए इस दिन आसमान के नीचे सांयकाल घरों, मंदिरों, पीपल के वृक्षों तथा तुलसी के पौधों के पास दीप प्रज्वलित करने चाहिए,गंगा आदि पवित्र नदियों में दीप दान करना चाहिए।
परिवर्तिनी एकादशी के दिन आप अपने सामर्थ्यनुसार जरूरतमंदों को आटा, गेहूं, वस्त्र आदि का दान करें,कष्ट दूर होंगे।
ऐसा न करें
पौराणिक मान्यता के अनुसार एकादशी में ब्रह्महत्या सहित समस्त पापों का शमन करने की शक्ति होती है,इस दिन मन,कर्म,वचन द्वारा किसी भी प्रकार का पाप कर्म करने से बचने का प्रयास करना चाहिए।
इस तिथि पर लहसुन, प्याज, मांस, मछली, अंडा आदि तामसिक आहार के सेवन से भी दूर रहना चाहिए एवं दिन में नहीं सोना चाहिए।
इस दिन व्रती किसी की बुराई या चुगली न करें। माता पिता, गुरु या अन्य किसी का दिल न दुखाएं और न ही किसी का अपमान करें।
एकादशी के दिन चावल नहीं खाने चाहिए ।जो लोग एकादशी का व्रत नहीं करते उन्हें भी चावल नहीं खाना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस तिथि को इनको जीव रूप मानते हुए एकादशी को भोजन के रूप में ग्रहण करने से परहेज किया गया है ताकि सात्विक रूप से विष्णु प्रिया एकादशी का व्रत संपन्न हो सके।