क्या क्या लिखा है गरुड़ पुराण में, इस महापुराण को पढ़ने या सुनने से पहले समझिए
आमतौर पर गरुड़ पुराण को लोग किसी की मृत्यु के बाद सुनते हैं. इस कारण ज्यादातर लोगों का मानना है कि इसमें सिर्फ मृत्यु और मृत्यु के बाद की ही स्थितियों का वर्णन है. लेकिन ऐसा नहीं है. गरुड़ पुराण में ऐसा बहुत कुछ है, जिसके बारे में आप नहीं जानते.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में जब किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उसके परिजन घर में गरुड़ पुराण का पाठ करवाते हैं. माना जाता है कि 13 दिनों तक मृतक की आत्मा अपने परिजनों के बीच ही रहती है. ऐसे में उसे भी गरुड़ पुराण सुनने को मिलता है. इसे सुनने से आत्मा को सद्गति प्राप्त होती है. मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण पाठ सुनने की इस प्रथा के कारण लोग यही समझते हैं कि गरुड़ पुराण में सिर्फ मृत्यु और मृत्यु के बाद की ही स्थितियों का वर्णन है. लेकिन ऐसा नहीं है. गरुड़ पुराण में ऐसा बहुत कुछ है, जिसके बारे में आप नहीं जानते. इसलिए इसे सुनने से पहले या गरुड़ पुराण के विषय में कुछ भी कहने से पहले ये समझना जरूरी है कि आखिर इसमें है क्या ?
गरुड़ पुराण में उन्नीस हजार श्लोक कहे जाते हैं, लेकिन वर्तमान समय में उपलब्ध पाण्डुलिपियों में लगभग आठ हजार श्लोक ही मिलते हैं. गरुड़ पुराण के दो भाग हैं- पूर्वखण्ड और उत्तरखण्ड. करीब 90 फीसदी सामग्री पूर्वखण्ड में है और केवल 10 प्रतिशत सामग्री उत्तरखण्ड में है. गरुड़ पुराण में हमारे जीवन को लेकर कई गूढ बातें बताई गई है, जिनके बारे में व्यक्ति को जरूर जनना चाहिए. आत्मज्ञान का विवेचन ही गरुड़ पुराण का मुख्य विषय है.
जानिए क्या क्या लिखा है गरुड़ पुराण में
ज्यादातर लोग मानते हैं कि गरुड़ पुराण में सिर्फ स्वर्ग, नर्क, मृत्यु और मृत्यु के बाद की स्थितियों के बारे में बताया गया है. लेकिन ऐसा नहीं है. गरुड़ पुराण के उन्नीस हजार श्लोक में से 7 हजार श्लोक ऐसे हैं जिसमें ज्ञान, धर्म, नीति, रहस्य, व्यावहारिक जीवन, आत्म, स्वर्ग, नर्क और अन्य लोकों का वर्णन मिलता है. इसका उद्देश्य व्यक्ति को भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सदाचार, निष्काम कर्म की महिमा बताने के साथ सर्व साधारण को यज्ञ, दान, तप, तीर्थ आदि शुभ कर्मों का महत्व समझाना है. इसमें आयुर्वेद और नीतिसार जैसे विषयों का भी वर्णन किया गया है. इसके अलावा कर्मों के आधार पर मृत्यु के बाद की स्थितियों का वर्णन किया गया है.
क्या है गरुड़ पुराण
गरुड़ पुराण के अधिष्ठातृदेव भगवान विष्णु हैं. कहा जाता है कि एक बार भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ ने नारायण से, प्राणियों की मृत्यु, यमलोक यात्रा, नरक-योनियों तथा सद्गति के बारे में अनेक रहस्ययुक्त प्रश्न पूछे थे. भगवान विष्णु ने गरुड़ के उन सभी प्रश्नों का विस्तार पूर्वक उत्तर दिया था. इन्हीं प्रश्नों और उत्तरोंं की श्रंखला से गरुड़ पुराण को तैयार किया गया है.
गरुड़ पुराण का उद्देश्य भी जानिए
मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण सुनाने का उद्देश्य सिर्फ इतना है कि सर्व साधारण को ये पता चले कि कौन सा रास्ता धर्म का है और कौन सा अधर्म का. ये जानकर व्यक्ति आत्ममंथन करे और स्वयं को सत्कर्मों की ओर लेकर जाए. इसके अलावा ये भी मान्यता है कि गरुड़ पुराण का पाठ सुनने से मृतक आत्मा को शांति मिलती है और उसे मुक्ति का मार्ग पता चल जाता है. इसके बाद वो संताप को भूलकर प्रभु के बताए मार्ग की ओर अग्रसर हो जाती है. ऐसे में आत्मा को प्रेतयोनि से मुक्ति मिलती है और वो सद्गति प्राप्त करती है.