शाकम्भरी नवरात्रि क्या है.....मां शाकम्भरी की पूजा किस प्रकार करनी चाहिए
शाकम्भरी देवी का पूजन पौष शुक्ल अष्टमी (10 जनवरी) से शुरू हो रहा है, जो पौष पूर्णिमा (17 जनवरी) को समाप्त होगा। इसे शाकम्भरी नवरात्रि भी कहा जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जब पृथ्वी पर सौ वर्षों तक वर्षा नहीं हुई, तब मनुष्यों को कष्ट उठाते देख मुनियों ने मां से प्रार्थना की। तब शाकम्भरी के रूप में माता ने अपने शरीर से उत्पन्न हुए शाकों के द्वारा ही संसार का भरण-पोषण किया था। 'श्री दुर्गासप्तशती' के एकादश अध्याय और 'अथ मूर्तिरहस्यम' में इस बात का उल्लेख है कि देवी की अंगभूता छह देवियां- नन्दा, रक्तदंतिका, शाकम्भरी, दुर्गा, भीमा और भ्रामरी हैं। शाकम्भरी देवी का पूजन पौष शुक्ल अष्टमी (10 जनवरी) से शुरू हो रहा है, जो पौष पूर्णिमा (17 जनवरी) को समाप्त होगा। इसे शाकम्भरी नवरात्रि भी कहा जाता है।
'शाकम्भरी नीलवर्णा नीलोत्पलविलोचना। गम्भीरनाभिस्त्रवलीवभूषिततनूदरी॥' मां शाकम्भरी के शरीर की कांति नीले रंग की है। उनके नेत्र नीलकमल के समान हैं, नाभि नीची है तथा त्रिवली से विभूषित मां का उदर सूक्ष्म है। मां शाकम्भरी कमल में निवास करने वाली हैं और हाथों में बाण, शाकसमूह तथा प्रकाशमान धनुष धारण करती हैं। मां अनंत मनोवांछित रसों से युक्त तथा क्षुधा, तृषा और मृत्यु के भय को नष्ट करने वाली हैं। फूल, पल्लव आदि तथा फलों से सम्पन्न हैं। उमा, गौरी, सती, चण्डी, कालिका और पार्वती भी वे ही हैं।
'शाकम्भरी स्तुवन ध्यायंजपन् सम्पूजयन्नमन्। अक्षययमष्नुते शीघ्रमन्नपानामृतं फलम्॥'
जो मां की स्तुति, ध्यान, जप, पूजा-वंदन करता है, वह शीघ्र ही अन्न, पान एवं अमृतरूप अक्षय फल को प्राप्त करता है। इनके प्रसाद में हलवा-पूरी, फल, शाक, सब्जी, मिश्री, मेवे का भोग लगता है। सहारनपुर के शिवालिक क्षेत्र में शाकम्भरी देवी का विशाल मेला लगता है।
ऐसे करें पूजा: पौष मास की अष्टमी तिथि को सुबह उठकर स्नान आदि कर लें। सबसे पहले गणेशजी की पूजा करें। फिर माता शाकम्भरी का ध्यान करें। मां की प्रतिमा या तस्वीर रखें। पवित्र गंगाजल का छिड़काव करें। मां के चारों तरफ ताजे फल और मौसमी सब्जियां रखें। संभव हो, तो माता शाकम्भरी के मंदिर में जाकर सपरिवार दर्शन करें। मां को पवित्र भोजन का प्रसाद चढ़ाएं। इसके बाद मां की आरती करें। जिनका मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ लग्न है, उन्हें मां शाकम्भरी की पूजा अवश्य करनी चाहिए।