खरमास क्या है? विवाह के लिए शुभ मुहूर्त तिथियां

शास्त्रों के अनुसार खरमास में सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों पर रोक रहती है।

Update: 2022-12-19 05:10 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | शास्त्रों के अनुसार खरमास में सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों पर रोक रहती है। विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, उपनयन संस्कार इत्यादि जैसे महत्त्वपूर्ण कार्य न करने की सलाह दी जाती है। शास्त्रोंं में बताया गया है कि खरमास में किए गए मांगलिक कार्यों का इच्छा अनुसार फल प्राप्त नहीं होता है। कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन खरमास के बाद ये सभी कार्य पुन: शुरू हो जाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार 15 मार्च से फिर 30 दिन के लिए खरमास शुरू हो जाएगा। जनवरी से मार्च के बीच विवाह की शुभ तिथियां इस प्रकार हैं-

विवाह के लिए शुभ मुहूर्त तिथियां
जनवरी- 17 जनवरी से विवाह के शुभ दिन शुरू हो जाएंगे। पंचांग के अनुसार 17, 18, 19, 25, 26, 27, 30 और 31 जनवरी विवाह के लिए उत्तम है।
फरवरी- फरवरी मास में विवाह के लिए 1, 6, 7, 8, 9, 10, 13, 15, 22, 23, 27 और 28 उत्तम तिथियां हैं।
खरमास क्या है?
धनु राशि में सूर्य के गोचर की अवधि को खरमास कहा जाता है। खरमास की शुरुआत दिसंबर के मध्य से होती है और जनवरी के मध्य तक रहती है। संक्रांति के इस काल में अग्नि तत्व अपने चरम पर होता है। यह समय उन गतिविधियों के लिए उपयोगी है जिनमें वाद-विवाद शामिल है। इस चरण में जलवायु, प्रकृति और मनुष्य के व्यवहार में भी परिवर्तन देखा जाता है। इस दौरान कोई भी शादी-विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। खरमास एक माह तक रहता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य देव के एक राशि से दूसरे राशि में स्थान परिवर्तन की प्रक्रिया को संक्रांति कहते हैं। दिसंबर में सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे खरमास लगा है। इसे धनु संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। नए साल 2023 में सूर्य देव 14 जनवरी को धुन राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे, तो मकर संक्रांति पड़ेगी।
नहीं होंगे कोई शुभ कार्य
जैसा कि कहा जाता है कि खरमास के दौरान कोई मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। ऐसे में 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक खरमास के दौरान शादी-विवाह आदि कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। किसी भी नए कार्य की शुरुआत के लिए भी खरमास को अशुभ माना जाता है।
खरमास में क्या करें
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार खरमास में सूर्य देव की पूजा करना शुभ होता है। खरमास में सूर्य देव को तांबे के पात्र से अर्घ्य देना चाहिए।
सूर्य पाठ और सूर्य के मंत्रों का जाप करना चाहिए।खरमास में भगवान विष्णु की पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है।
गो माता, गुरुदेव और साधुजनों की सेवा करें। इससे शुभ फल मिलता है। धार्मिक मान्यतानुसार अनुसार खरमास के दौरान नया निर्माण शुरू नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस मास में बनाए गए घर में रहने से व्यक्ति को कभी भी सुख-समृद्धि नहीं मिलती है। इस तरह खरमास के दौरान भूलकर भी नई वस्तुएं जैसे- कपड़े, आभूषण, गाड़ी, भूमि नहीं खरीदनी चाहिए। खरमास में कोई नई चीज जैसे वाहन, घर, प्लाट, आभूषण आदि बिल्कुल नहीं खरीदना चाहिए।
इस दौरान तामसिक भोजन (लहसुन, प्याज) और मांस-मदिरा से का सेवन नहीं करना चाहिए। मुंडन, छेदन, गृह प्रवेश, जनेऊ, शादी विवाह जैसे कार्य नहीं करना चाहिए। तांबे के बर्तन में रखे हुए भोजन या फिर पानी का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। किसी भी प्रकार के नए कार्य जैसे- मकान, दुकान अथवा नए व्यवसाय की शुरुआत नहीं करनी चाहिए।
सूर्य पूजा का महत्त्व
शास्त्रों के अनुसार सूर्य को सुबह नमस्कार करने से आयु, आरोग्य, धन धान्य, क्षेत्र, पुत्र, मित्र, तेज, यश, कांति, विद्या, वैभव और सौभाग्य आदि प्राप्त होता है एवं सूर्यलोक की प्राप्ति होती हैं। भविष्य पुराण के ब्राह्म पर्व में श्रीकृष्ण और उनके पुत्र सांब के संवाद में श्रीकृष्ण ने सूर्य देव की महिमा बताई है। श्रीकृष्ण ने सांब को बताया कि जो भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ सूर्य की पूजा करता है, उसे ज्ञान की प्राप्ति होती है। स्वयं मैंने भी सूर्य की पूजा की और इसी के प्रभाव के दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई है।
ऐसे करें पूजा
सुबह स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करें। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें, इसमें चावल, लाल फूल एवं गुड़ डालकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। जल अर्पित करने के बाद सूर्य मंत्र का जाप करें। सूर्य मंत्र – ऊं सूर्याय नम:, ऊं भास्कराय नम:, ऊं आदित्याय नम:, ऊं दिनकराय नम:, ऊं दिवाकराय नम:, ऊं खखोल्काय स्वाहा इन मंत्रों का जाप करना चाहिए। उपासना में धूप, दीप जलाएं और सूर्य का पूजन करें। इसके अलावा शुभ फलों की प्राप्ति के लिए सूर्य से संबंधित चीजें जैसे तांबे का बर्तन, पीले या लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, माणिक्य, लाल चंदन आदि का दान करें। इनकी आराधना करने अथवा जल द्वारा अर्घ्य देने से सभी दोष नष्ट हो जाते हैं।

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