रुद्राक्ष धारण करने से जीवन की सारी समस्याएं से मिलती है मुक्ति, ऐसे राशिनुसार करें धारण

पौराणिक कथाओं के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से मानी जाती है।

Update: 2021-01-19 02:17 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: पौराणिक कथाओं के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से मानी जाती है। रुद्राक्ष का बीज बहुत ही पवित्र होता है। माना जाता है कि इसमें भगवान शिव की शक्तियां समाहित होती हैं। मान्यता है कि यह बीज धारण करने से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है। रूद्राक्ष के वृक्ष पहाड़ों के ऊपर पाए जाते हैं जिनमें रूद्राक्ष फल के रूप में लगता है। रूद्राक्ष एक मुखी, तीन मुखी, पांच मुखी, आदि कई मुखी रुद्राक्ष पाए जाते हैं। इन सभी रुद्राक्ष उनके अनुसार फल प्रदान करते हैं। रुद्राक्ष धारण करने से धन, विद्या, सेहत, संपत्ति, ऐश्वर्य, लंबी आयु, शत्रुओं पर विजय, रोग और पाप से मुक्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। कुछ लोग इसे गले में तो कुछ कलाई और बाजू पर भी धारण करते हैं। ज्योतिष के अनुसार राशि के अनुसार रुद्राक्ष धारण करके आप इसका और भी ज्यादा शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं।

मेष राशि के जातक तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं।
वृष राशि के जातकों को छहमुखी और दसमुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।
मिथुन राशि के जातकों के लिए चारमुखी या ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ रहता है।
कर्क राशि के जातकों को चारमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। इसके अलावा इस राशि के जातक गौरीशंकर रुद्राक्ष भी धारण कर सकते हैं।
सिंह राशि के जातकों को पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। इससे धन संपत्ति की प्राप्ति होती है।
कन्या राशि के जातकों के लिए गौरीशंकर रुद्राक्ष धारण करना अत्यंत शुभ रहता है।
तुला राशि के जातकों के लिए सातमुखी और गणेशरुद्राक्ष धारण करना बहुत शुभ रहता है।
वृश्चिक राशि के जातकों को मनोकामना पूर्ति के लिए आठमुखी और तेरहमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
धनु राशि के जातको के लिए नौमुखी या एकमुखी रुद्राक्ष धारण के श्रेष्ठ रहता है।
मकर राशि के जातकों के लिए दसमुखी और तेरहमुखी रुद्राक्ष धारण करना फायदेमंद रहता है।
कुंभ राशि के जातकों को सफलता प्राप्ति के लिए सातमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
मीन राशि के जातकों के लिए एकमुखी रुद्राक्ष अत्यंत शुभ फल प्रदान करने वाला माना जाता है।
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