इस विधि से धारण करें रुद्राक्ष

मिलेगा चमत्कारी प्रभाव

Update: 2023-06-06 18:23 GMT
रुद्राक्ष |  रुद्राक्ष के जन्मदाता भगवान शंकर हैं। रुद्र का अर्थ है- शिव और अक्ष का अर्थ है- वीर्य या रक्त, अश्रु! रुद्र+अक्ष मिलकर ‘रुद्राक्ष’ बना है। यह बेर या मटर के आकार का दाना होता है। यह चार रंगों में होता है- श्वेत, लाल, मिश्रित रंग और काला। रुद्राक्ष भगवान शिव का प्रिय आभूषण, दीर्घायु प्रदान करने वाला तथा अकाल मृत्यु को दूर धकेलने वाला है। भौतिक और साधनात्मक कई दृष्टियों से प्रकृति की यह अद्भुत भेंट है।
रुद्राक्ष एक अद्भुत वस्तु है। विश्व में केवल नेपाल, जावा, सुमात्रा, इंडोनेशिया, बर्मा, असम और हिमाचल के कई क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाला रुद्राक्ष एक सुपरिचित बीज है जिसे पिरोकर मालाएं बनाई जाती हैं लेकिन आज तक कई लोगों को इस अद्भुत तांत्रिक वस्तु के गुणों क जानकारी नहीं है। लोगों की धारणा है कि रुद्राक्ष पवित्र होता है, इसलिए इसे पहनना चाहिए। बस, इससे अधिक जानने की चेष्टा किसी ने नहीं की।
Is Rudraksha really effective: वस्तुत: रुद्राक्ष में अलौकिक गुण हैं। इसके चुम्बकीय प्रभाव को, इसकी स्पर्श शक्ति को आधुनिक विज्ञानवेत्ता भी स्वीकार करते हैं। यह रोग शमन और अदृष्ट बाधाओं के निवारण में अद्भुत रूप से सफल होता है। स्वास्थ्य, शांति और श्री समृद्धि देने में भी यह प्रमुख है। रुद्राक्ष के खुरदरे और कुरूप बीज (गुठली) पर धारियां होती हैं। इनकी संख्या 1 से 21 तक पाई जाती है। इन धारियों को मुख कहते हैं। मुख संख्या के आधार पर रुद्राक्ष के गुण, प्रभाव और मूल्य में अंतर रहता है। एकमुखी दाना सर्वथा दुर्लभ होता है। दो से लेकर सातमुखी तक मिल जाते हैं, पर आठ से चौदह तक मुख वाले कदाचित ही मिल पाते हैं, फिर 15 से 21 धारी वाले तो नितांत दुर्लभ हैं। सबसे सुलभ दाना पंचमुखी है।
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