Vivah Panchami 2020 : जानें भगवान राम के विवाह से जुड़ी 5 रोचक और अद्भुत बातें
जानें भगवान राम और माता सीता के विवाह से संबंधित रोचक बातें
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : जानें भगवान राम और माता सीता के विवाह से संबंधित रोचक बातें
मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को जनक दुलारी माता सीता और भगवान राम का विवाह हुआ था। इस तिथि को शास्त्रों में विवाह पंचमी के नाम से जाना जाता है और यह शुभ तिथि आज है। भगवान राम और माता सीता का विवाह रामायण का मुख्य भाग है। बताया जाता है कि जब राम और सीता का विवाह हुआ था, तब तीन लोकों में देवी-देवता झूम उठे थे। उनकी जैसी जोड़ी वाला तीनों लोकों में कोई नहीं था। विवाह के बाद से ही माता सीता के जीवन में सुख-दुख की धूप-छांव शुरू हो गई थी। माता सीता को हमेशा पतिव्रत और उच्चतम चरित्र वाली महिला के रूप में पूजा जाता है। हम आपको भगवान राम और माता सीता के विवाह संबंधित कोई ऐसी ही बातों के बारे में उल्लेख करने जा रहे हैं, जिनके बारे में शायद ही आप जानते हैं?
विवाह के समय देवी सीता की उम्र
वाल्मीकि रामायण और अन्य ग्रंथों में अलग-अलग वर्णन मिलता है। जानकारी मिलती है कि माता सीता का बाल्यवस्था में ही विवाह हो गया था और उस समय उनकी उम्र मात्र 6 साल की थीं। वहीं जब रामजी का विवाह हुआ था, उस समय भगवान राम की उम्र मात्र 13 साल की थी। वहीं 18 साल की उम्र में माता सीता भगवान राम के साथ वनवास चली गई थीं।
विवाह के बाद इतने दिन रामजी रहे ससुराल में
माता सीता से विवाह के बाद भगवान राम 6 वर्ष तक जनकपुरी में रहे थे, विवाह के समय माता उम्र मात्र 6 साल थी और वह विवाह के बाद भी 6 साल तक अपने पिता के साथ रही थीं। माता सीता 12 वर्ष की उम्र में जनकपुर से अयोध्या अपने पति के साथ गई थीं। दरअसल बताया जाता है कि जब-जब राजा जनक विदा के लिए आगे बढ़ते थे, तब वह मोहमाया में सीता को विदा नहीं कर पाते थे। तब राजा दशरथ ने कहा कि आप प्रसन्न होकर ही अपनी बेटी की विदाई करें और वह 6 साल तक बरात के साथ जनकपुर रहे थे।
गौना के बाद देवी सीता कितनी बार गईं मायके
बताया जाता है कि गौना होने के बाद माता सीता एकबार भी मायके नहीं गई थीं। विवाह के कुछ समय के बाद वह 14 साल के लिए वनवास चली गईं, इसके बाद फिर रामजी ने उनका त्याग कर दिया था, जिसके बाद महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रहने लगीं और वहीं लव-कुश को जन्म दिया। इसके बाद धरती की गोद में माता सीता सशरीर समा गई थीं और बैकुंठ धाम चली गई थीं। इसलिए गौना के बाद एकबार भी मायके नहीं गईं।
देवी सीता को रामजी ने मुंह दिखाई में क्या दिया था
देवी सीता को भगवान राम ने मुंह दिखाई में चूड़ामणि दिया था। जब हनुमानजी लंका पहुंचे हुए थे, तब माता सीता ने निशानी के तौर पर उसी चूड़ामणि को हनुमानजी को दे दिया था और कहा था कि इससे रामजी पहचान जाएंगे कि आप सीताजी से मिलकर आए हैं। बताया जाता है कि जानकीजी को लंका में 435 दिनों तक रही थीं। यानी कि 1 साल 2 महीने और 10 दिन तक वह लंका में रही थीं।
देवी सीता जनकपुर से क्या संग लेकर आई थीं
राजा जनक ने विवाह के बाद वैसे तो कई हीरे जवाहरात और दास-दासियों को भेंट में दिया था लेकिन माता जानकी अपने साथ काली माता की एक मूर्ति लेकर आई थीं, जिसे अयोध्या में छोटी देवकाली के नाम से जाना जाता है। यह मूर्ति आज भी अयोध्या के बीचों बीच छोटी देवकाली मंदिर में विराजमान हैं। बताया जाता है कि माता पार्वती का रूप काली यहां सर्वमंगला महागौरी के रूप में विराजमान हैं। राजा दशरथ ने माता काली की इस प्रतिमा को सप्तसागर के ईशानकोण में स्थापित किया था। जहां माता सीता हर रोज अन्य रानियों के साथ पूजा करने आती थीं। वहीं भगवान राम की कुलदेवी का नाम बड़ी कालीदेवी है।,