आषाढ़ मास की विनायक चतुर्थी, इन शुभ योग में पूजा करने से दूर होंगी सभी बाधाएं
यूं तो हमें हर दिन गणेशजी को प्रणाम करके ही किसी कार्य का आरंभ करना चाहिए,
यूं तो हमें हर दिन गणेशजी को प्रणाम करके ही किसी कार्य का आरंभ करना चाहिए, लेकिन कल गणेशजी की पूजा के लिए विशेष लाभ वाला दिन है। कल विनायक चतुथर्ी तिथि है यानी कि गणेशजी पूजा की सबसे शुभ तिथि। पुराणों में ऐसी मान्यता है कि इस दिन बप्पा की पूजा करने से हमारे सभी कार्य बिना किसी बाधा के पूरे होते हैं। यदि आपको भी किसी काम में बहुत दिन से बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है तो विनायक चतुर्थी के दिन गणेशजी की विधि विधान से पूजा करने से कार्यसिद्धि प्राप्त होगी। आषाढ़ मास के विनायक चतुर्थी की शास्त्रों में खास मान्यता बताई गई है।
बन रहे हैं ये दो शुभ योग
इस बार आषाढ़ मास की विनायक चतुर्थी के दिन दो शुभ योग बन रहे हैं। पहला है रवि योग और दूसरा है सिद्धि योग। जो लोग विनायक चतुर्थी के दिन व्रत करते हैं वे इस दिन दोपहर के शुभ मुहूर्त में गणपति की पूजा करें तो उन्हें विशेष फल की प्राप्ति होगी। ऐसा माना जाता है कि गणपति बप्पा की कृपा से हमारे सभी कार्य बिना किसी विघ्न के पूर्ण होते हैं और शुभ लाभ की प्राप्ति होती है।
कब से लग रही है चतुर्थी तिथि
आषाढ़ मास की विनायक चतुर्थी का आरंभ 13 जुलाई को सुबह 8 बजकर 24 मिनट से होगा और यह 14 जुलाई की सुबह 8 बजकर 2 मिनट तक रहेगी। चूंकि गणेशजी की पूजा दोपहर में ही किए जाने का विधान है इसलिए विनायक चतुर्थी का व्रत 13 जुलाई को रखा जाएगा।
विनायक चतुर्थी पूजा का मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार विनायक चतुर्थी के दिन दो शुभ योग हैं। पहला रवि योग सुबह 5 बजकर 32 मिनट से अगले दिन 14 जुलाई तक सुबह 3 बजकर 42 मिनट तक है। दूसरा शुभ योग सिद्धि योग हैं जो कि दोपहर में 2 बजकर 49 मिनट से है। व्रत रखकर पूजा करना दोपहर में ही श्रेष्ठ माना जाता है।
न देखें चौथ का चांद
ऐसी मान्यता है कि जिस दिन विनायक चतुर्थी हो या फिर संकष्टी चतुर्थी हो उस रात में चंद्र दर्शन करना बेहद अशुभ होता है। ऐसा माना जाता है कि चौथ का चांद देखने से व्यक्ति को बिना वजह का कलंक मिलता है। इसलिए चौथ की रात में चंद्रमा की तरफ देखने से बचें।