वृषभ राशि में शुक्र का गोचर, बनेगा लक्ष्मी नारायण योग
ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का राशि परिवर्तन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। सभी ग्रह एक निश्चित अंतराल पर राशि परिवर्तन करते हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का राशि परिवर्तन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। सभी ग्रह एक निश्चित अंतराल पर राशि परिवर्तन करते हैं। ग्रहों के राशि परिवर्तन से सभी जातकों के जीवन पर जरूर असर पड़ता है। इस माह सुख, वैभव और ऐशोआराम प्रदान करने वाले शुक्र ग्रह वृषभ राशि में गोचर करने जा रहे हैं। वृषभ राशि शुक्र ग्रह का स्वराशि है। यह राशि परिवर्तन 18 जून को होगा। ज्योतिष गणना के अनुसार अगर किसी जातक की कुंडली में शुक्र की मजबूत स्थिति हो उसे घर-वाहन सुख,दांपत्य सुख,भोग-विलास आदि सभी तरह के सुख की प्राप्ति होती है जबकि इसके विपरीत किसी कुंडली में शुक्र की कमजोर होने पर जातक को इन सभी सुखों से वंचित कर सकती है।
लक्ष्मी नारायण योग
18 जून का जो शुक्र अपनी स्वयं की राशि वृषभ में गोचर करेंगे तो वहां उनकी युति बुध ग्रह के साथ होगी। बुध ग्रह पहले से ही वृषभ राशि में मौजूद हैं। आपको बता दें जब किसी एक राशि में दो ग्रहों का गोचर होता है उसे युति कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब बुध-शुक्र ग्रही की युति होती है तब लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण होता है। लक्ष्मी नारायण योग को बहुत ही शुभ और लाभदायक माना गया है। इस योग से जातकों के ऊपर लक्ष्मीजी की विशेष कृपा रहती है। गरीब आदमी भी यकायक धनवान बन जाता है और सौभाग्य में वृद्धि हो जाती है।
शुक्र ग्रह के गोचर का समय
आनन्द और सुख समृद्धि प्रदान करने वाले ग्रह शुक्र देव अपनी स्वराशि वृषभ में 18 जून को सुबह 8 बजकर 6 मिनट पर गोचर करेंगे। शुक्र वृषभ राशि में अगले 21 दिनों तक रहेंगे और फिर इसके बाद मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे। शुक्र के वृषभ राशि में गोचर करने से सभी राशि के जातकों पर प्रभाव पड़ेगा।
इन राशियों पर शुक्र ग्रह का शुभ प्रभाव
गणना के मुताबिक शुक्र के वृषभ में गोचर करने से खास तौर पर मेष,सिंह,कन्या और वृश्चिक राशि के जीवन में सुख,वैभव,धन संपदा, प्रेम और रोमांस जैसे खुशी के पल आएंगे।
ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व
- वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को एक शुभ ग्रह माना गया है।
- शुक्र ग्रह के शुभ प्रभाव से व्यक्ति को भौतिक,शारीरिक और वैवाहिक तीनों तरह के सुखों की प्राप्ति होती है।
- ज्योतिष में शुक्र ग्रह को भौतिक सुख, संपन्नता, लग्जरी जीवन, वैवाहिक सुख,भोग-विलास,शौहरत,कला,प्रतिभा,सौन्दर्य,रोमांस, काम-वासना और फैशन-डिजाइनिंग आदि का कारक माना जाता है।
- शुक्र ग्रह को वृषभ और तुला राशि का स्वामी माना गया है। मीन उच्च राशि है,जबकि कन्या इसकी नीच राशि होती है।
कुंडली में शुक्र ग्रह के अशुभ होने के संकेत
- अगर जीवन में भौतिक चीजों की कमी होने लगे या फिर आर्थिक परेशानियां आन लगे तो समझिए शुक्र ग्रह कुंडली में कमजोर है।
- दरिद्रता आने पर भी कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर होने की निशानी है।
- जब व्यक्ति का समाज में मान-सम्मान कम होने लगे और उसका आकर्षण धीरे-धीरे कम हो तो यह कमजोर शुक्र के संकेत हैं।
- अगर वैवाहिक जीवन में तनाव आने लगे, बेवजह विवाद बढ़ने लगे या फिर व्यक्ति के जीवन में स्त्री का सुख मिलना बंद हो जाए यह कमजोर शुक्र की संकेत हैं।
कुंडली में शुभ शुक्र के संकेत
- जब व्यक्ति के जीवन में अचानक से भौतिक सुखों में वृद्धि होने लगे तो यह शुक्र के शुभ संकेत हैं।
- व्यक्ति को किसी कार्य में अचानक से लगातार सफलताएं मिलने प्रारंभ होने लगे तो समझिए यह मजबूत शुक्र के संकेत हैं।
- जब व्यक्ति के जीवन में सुख-सुविधाओं और मान-सम्मान में वृद्धि होने लगे तो कुंडली में शुक्र मजबूत मजबूत होता है।
- कुंडली में शुक्र ग्रह के मजबूत होने पर व्यक्ति कला और मनोरंजन के क्षेत्र में सफलताएं प्राप्त करता है।
शुक्र ग्रह को मजबूत करने के उपाय
- महिलाओं का सम्मान करने पर शुक्र ग्रह मजबूत होते हैं।
- सफेद रंग की चीजों का इस्तेमाल करने पर शुक्र ग्रह अच्छे परिणाम देते हैं।
- शुक्रवार और पूर्णिमा की तिथि पर शुक्र ग्रह से जुड़े मंत्रों का जाप करने से शुक्र मजबूत होते हैं।
- दान करने से कुंडली में शुक्र ग्रह अच्छे परिणाम देते हैं।
- कुंडली में शुक्र ग्रह को मजबूत करने के लिए ओपल रत्न को धारण कर सकते हैं।