Vastu Tips: गलती से भी इस दिशाओं में न करें किचन का निर्माण, होते हैं अशुभ परिणाम

किचन घर के सबसे महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है। यहां पर बने भोजन का सीधा संबंध व्यक्ति के पोषण और स्वास्थ्य से होता है।

Update: 2020-12-15 07:14 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेसक| किचन घर के सबसे महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है। यहां पर बने भोजन का सीधा संबंध व्यक्ति के पोषण और स्वास्थ्य से होता है। वास्तु शास्त्र में किचन की स्थिति और आतंरिक व्यवस्था के संबंध में निश्चित नियम मिलते हैं। इन नियमों का अनुपालन करने पर ना सिर्फ आपको स्वास्थ्य लाभ होगा, बल्कि जिस दिशा में किचन स्थित है, उस दिशा में ऊर्जा के संतुलन से आपको अन्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। ठीक इसी प्रकार से वास्तु में तीन ऐसी दिशाएं भी हैं, जहां पर किया गया किचन का निर्माण नकारात्मक नतीजे प्रदान करता है। तो आइए वास्तुकार संजय कुड़ी से जानते हैं वे दिशाएं और उनका आपके जीवन पर पड़ने वाला प्रभाव।

ईशान (उत्तर-पूर्व) में किचन का निर्माण
ईशान का संबंध व्यक्ति के मस्तिष्क और उसके सोच-विचार करने की क्षमता से होता है। इसके साथ ही वास्तु के अनुसार ईशान उन कुछ दिशाओं में से भी एक है, जहाँ पर किचन की उपस्थिति घर के सदस्यों के लिए प्रतिकूल सिद्ध होती है। ऐसे में इसका सीधा असर व्यक्ति के मस्तिष्क पर पड़ता है। व्यक्ति का हमेशा असमंजस की स्थिति में होना, किसी बात या परिस्थिति को लेकर स्पष्ट नजरिए का अभाव होना इत्यादि कुछ उदाहरण हैं, जो कि ईशान में किचन के होने के कारण देखने को मिलते हैं। अतः इस दिशा में किचन नहीं बनाया जाना चाहिए।

नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) में किचन का निर्माण
नैऋत्य दिशा अगर संतुलित हो, तो यह किसी व्यक्ति के कार्य कौशल को बेहतर करने, रिश्तों को अच्छा बनाए रखने का काम करती है। लेकिन नैऋत्य में रसोई घर का होना इस दिशा की ऊर्जा के असंतुलन का कारण बनता है और ध्यान देने वाली बात है कि इसके असंतुलित होने पर उस घर में रहने वाले सदस्य अपनी क्षमताओं का अच्छी तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। साथ ही पारिवारिक रिश्तों में भी दूरियां एवं मनमुटाव की स्थिति बनी रहती है, इसलिए यहां पर भी रसोई घर का निर्माण वास्तु नियमों के अनुसार निषेध है।
उत्तर दिशा में किचन का निर्माण
उत्तर दिशा जल तत्व की दिशा भी है, जहां पर रसोई का निर्माण करने से यहां पर अग्नि तत्व प्रवेश कर जाता है। इससे यहां पर दो परस्पर विरोधी तत्वों के होने से वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है। यह दिशा कुबेर की भी दिशा है और कुबेर धन का स्वामी है। ऐसे में यहां पर विद्यमान उपरोक्त वास्तु दोष धन के संबंध में नकारात्मक परिणाम देने लगता है, इसके साथ ही यह दोष उस घर में रहने वाले लोगों के लिए करियर में प्राप्त होने वाले अवसरों में भी कमी का कारण बनता है।
ध्यान रखने योग्य कुछ बातें-
1- ब्रह्मस्थान में भी किचन का निर्माण करना वास्तु में बिलकुल मना है। घर के मध्य में बनी किचन वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार एक बड़ा दोष माना जाता है।
2- रसोई में ज्यादात्तर समय महिलाएं ही व्यतीत करती हैं, ऐसे में उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए यहां पर्याप्त हवा और प्रकाश की व्यवस्था भी होनी चाहिए।
3- वस्तुओं को रखने के लिए आप अलमारियों का निर्माण किचन की दक्षिण व पश्चिम दिशा की ओर कर सकते हैं।


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