वास्तु टिप्स : वास्तु नियमों के अनुसार करें दीपावली पूजन, जीवन में होगी सुख-सौभाग्य की बरसात

दीपावली का त्यौहार सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। सुख सौभाग्य की कामना से इस दिन धन, वैभव, ऐश्वर्य की देवी माँ ...

Update: 2020-10-28 12:21 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| दीपावली का त्यौहार सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। सुख सौभाग्य की कामना से इस दिन धन, वैभव, ऐश्वर्य की देवी माँ लक्ष्मी और रिद्धि-सिद्धि के प्रदाता श्री गणेश जी का पूजन अन्य देवी-देवताओं सहित किया जाता है। घर या व्यावसायिक स्थल पर माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहे, पूजा-पाठ का पूर्ण लाभ मिल सके इसके लिए आवश्यक है कि श्रद्धा भक्ति के साथ हम सब दीपावली पूजन न केवल सच्चे मन से करें,बल्कि वास्तु नियमों को ध्यान में रखकर सही तरीके से भी पूजा-आराधना करें। यदि वास्तु नियमों के अनुसार दिशाओं और रंगों को ध्यान में रखकर कार्यस्थल या घर पर पूजा की जाए तो निश्चित रूप से हमें शुभ परिणाम प्राप्त होंगे एवं खुशियां,सफलता और समृद्धि हमारे जीवन में दस्तक देंगी।  

वास्तु विज्ञान के अनुसार उत्तर दिशा को धन की दिशा माना गया है।दीपावली पूजन उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में करना शुभ माना गया है। पूजन करते समय मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। उत्तर दिशा चूंकि धन का क्षेत्र है इसलिए यह क्षेत्र यक्ष साधना (कुबेर),लक्ष्मी पूजन और गणेश पूजन के लिए आदर्श स्थान है। ध्यान रहे दीपावली पूजन में मिट्टी के लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां अथवा चित्र आदि छवियाँ नई हों।चांदी की मूर्तियों को साफ़ करके पुनः पूजा के काम में लिया जा सकता है।

पूजा कलश व अन्य पूजन सामग्री जैसे- खील पताशा,सिन्दूर,गंगाजल, अक्षत-रोली, मोली,फल-मिठाई,पान-सुपारी,इलाइची आदि उत्तर और उत्तर-पूर्व में ही रखा जाना शुभ फलों में वृद्धि करेगा।देवी लक्ष्मी को लाल रंग अत्यधिक प्रिय है। लाल रंग को वास्तु में भी शक्ति और शौर्य का प्रतीक माना गया है अतः माता को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र, श्रृंगार की वस्तुएं एवं पुष्प यथासंभव लाल रंग के होने चाहिए। पूजन कक्ष के द्वार पर सिन्दूर या रोली से दोनों तरफ स्वास्तिक बना देने से घर में नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं करती हैं।वास्तु शास्त्र के अनुसार शंख ध्वनि व घंटानाद करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और आस-पास का वातावरण शुद्ध और पवित्र होकर मन-मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। दीपावली पूजन में श्रीयंत्र, कौड़ी एवं गोमती चक्र की पूजा सुख-समृद्धि को आमंत्रित करती है।

किस दिशा में कैसी हो बंधनवार

माँ लक्ष्मीजी के स्वागत में व इन्हें प्रसन्न करने के लिए पूजन कक्ष के दरवाज़े पर बंधनवार बांधना शुभ माना गया है।तोरण का चयन घर की दिशा अनुसार,रंगों और आकार को ध्यान में रखकर करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है।यदि आपके घर का मुख्य द्वार पूर्व में है तो हरे रंग के फूलों और पत्तियों का तोरण लगाना सुख-समृद्धि को आमंत्रित करता है।इस दिशा में आप आम और अशोक की पत्तियों  की बंधनवार लगा सकते हैं। धन की दिशा उत्तर के मुख्य द्वार के लिए नीले या आसमानी रंग के फूलों की बंधनवार लगाना सुख-समृद्धि में वृद्धि करेगा।यदि घर का प्रवेश द्वार दक्षिण दिशा में है तो लाल,नारंगी या इससे मिलते -जुलते रंगों के फूल-पत्तियों से द्धार को सजाना चाहिए। पश्चिम दिशा  के मुख्य द्वार के लिए पीले रंग,सुनहरी,लाइट ब्लू कलर के फूलों की बंधनवार लगाना लाभ और उन्नति में सहायक होंगे।ध्यान रहे पूर्व और दक्षिण के द्वार पर किसी भी धातु से बने तोरण को नहीं लगाना चाहिए।पश्चिम और उत्तर दिशा के द्वार पर धातु का तोरण लगाया जा सकता है।इसी प्रकार उत्तर,पूर्व और दक्षिण दिशा में बने प्रवेश द्वार पर लकड़ी का तोरण लगाया जा सकता है,लेकिन पश्चिम दिशा में लकड़ी से बनी बंधनवार को लगाने से बचना चाहिए।

सकारात्मक ऊर्जा देता है दीपक

दीपावली की पूजा में घी या तेल के दीपक जलाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है,घर के सदस्यों को यश एवं प्रसिद्धि मिलती है।दीपावली के दिन लक्ष्मी जी की पूजा के दीपक उत्तर दिशा में रखने से घर धन-धान्य से संपन्न रहता है ।दीपक की लौ के संबंध मान्यता है कि उत्तरदिशा की ओर लौ रखने से स्वास्थ्य और प्रसन्नता बढ़ती है,पूर्व दिशा की ओर लौ रखने से आयु की वृद्धि होती है।ध्यान रखें कि यदि मिटटी का दीप जला रहें हैं तो दीप साफ़ और साबुत हो।किसी भी पूजा में टूटा हुआ दीपक अशुभ और वर्जित माना गया है।दीपक जलाने के बारे में कहा जाता है कि सम संख्या में जलाने से ऊर्जा का संवहन निष्क्रिय हो जाता है,जब कि विषम संख्या में दीपक जलाने पर वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है।यही वजह है कि धार्मिक कार्यों में हमेशा विषम संख्या में दीपक जलाए जाते हैं।

Tags:    

Similar News

-->