Vastu Shastra: रोजाना पूजा करते समय भूलकर भी न करें ये गलतियां

Update: 2024-07-17 08:26 GMT
Vastu Shastra: हिंदू धर्म में हर दिन का विशेष महत्व होता है। सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है। वार के अनुसार विशेष पूजा की जाती है। हालांकि, Festivals के बिना भी घरों में सुबह-शाम पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दिन में दो बार पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि शाम के समय माता लक्ष्मी घर में आती हैं इसलिए पूजा करना शुभ माना जाता है।
हिंदू धर्म में पूजा का विशेष महत्व है। सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवता को समर्पित होता है, इसलिए घरों में सुबह-शाम पूजा की जाती है। किसी भी देवी-देवता की पूजा करने से परिवार में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है और जीवन में भी शुभता आती है। भगवान का आशीर्वाद पाने के लिए सभी भक्त विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। हालाँकि, आपको अपनी पूजा का पुण्य फल तभी मिलेगा जब आप सही समय पर और सही नियमों के साथ पूजा करेंगे।
क्या है पूजा करने की सही विधि?
Vaastu Shaastra के अनुसार, पूजा के दौरान हमेशा मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए। इसके अलावा अपने दाहिने ओर घंटी, धूप, दीप, अगरबत्ती आदि रखनी चाहिए। इस दिशा में मुख रखकर पूजा करना शुभ माना जाता है। क्योंकि पूर्व दिशा शक्ति व शौर्य का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख रखकर पूजा करने से घर में बरकत होती है।
आमतौर पर कुछ लोग किसी भी समय पूजा कर लेते हैं, ऐसा करना अशुभ माना जाता है। शास्त्रों में पूजा-पाठ से जुड़े कई नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है। इसी कड़ी में हम आपको पूजा से जुड़ें कुछ नियमों के बारे में बताने वाले हैं, जिनका पालन करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
इस समय न करें पूजा
शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को कभी भी दोपहर के समय पूजा नहीं करनी चाहिए। विशेष रूप से दोपहर 12 बजे से लेकर 3 बजे तक पूजा न करें। इस समय पर पूजा करने से फल प्राप्त नहीं होता है।
पूजा करने की सही विधि जानें
पूजा के समय हमेशा अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें। ऐसी मान्यता है कि पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख रखकर पूजा करने से घर में खुशियां बनी रहती है। बरकत होती है। इस दौरान अपने दाहिने ओर घंटी, धूप, दीप, अगरबत्ती व पूजा सामग्री को रखें। इस बात का ध्यान रखें कि, बिना सिर ढके पूजा नहीं करनी चाहिए।
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