Utpanna Ekadashi 2022: नवंबर महीने में पड़ने जा रही दूसरी एकादशी, जानें पूजा विधि

Update: 2022-11-11 07:25 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी व्रत रखने का विशेष महत्व है. माना जाता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति भगवान विष्णु की उपासना करता है और व्रत रखता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती हैं. हर माह एकादशी का व्रत दो बार आता है, यानी कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष के दिन. हिंदू पंचाग के अनुसार मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के रूप में मनाया जाता है. इस बार उत्पन्ना एकादशी 20 नवंबर, 2022 को पड़ रही है. एकादशी माता भगवान विष्णु का ही एक स्वरूप मानी जाती है, जिनकी पूजा से मनचाही सफलता मिलती है. आइए जानें उत्पन्ना एकादशी का शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व..

पूजा की तिथि और मुहूर्त

पंचाग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के कृष्णपक्ष को पड़ने वाली उत्पन्ना एकादशी 19 नवंबर 2022 को सुबह 10:29 बजे शुरू होकर अगले दिन 20 नवंबर 2022 को प्रात:काल 10:41 बजे तक रहेगी. वहीं पारण का समय सुबह 06:48 से लेकर 08:56 तक है.

धार्मिक महत्व

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार एकादशी का जन्म भगवान विष्णु की देह से हुआ था, जो राक्षस मूर का वध करने के लिए हुआ था. माना जाता है कि राक्षस मूर सोए हुए भगवान विष्णु का वध करना चाहता था. इस दिन भगवान विष्णु के भक्त उनका आशीर्वाद पाने के लिए व्रत रखते हैं. यह एकादशी इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह एकादशी उपवास की उत्पत्ति का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी पर व्रत रखनें वाले के सभी पाप धुल जाते हैं.

पूजन विधि

सबसे पहले प्रात काल उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहने. इसके बाद व्रत करने का संकल्प लें.

इसके बाद भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें और उन्हें पुष्प और तुलसी अर्पित करें.

इसके बाद उनकी आरती करें और उन्हें भोग लगाएं. यदि संभव को तो पूजा अपने पूरे परिवार के साथ ही करें.

इसके बाद एकादशी व्रत कथा का पाठ करें और विषणु चालीसा का पाठ करें.

अगर संभव हो तो इस दिन ब्राह्मण को भोजन भी कराएं.

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