कल है कोकिला पूर्णिमा व्रत- जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में

आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को कोकिला पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है. इस बार कोकिला पूर्णिमा का व्रत 23 जुलाई 2021 को है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूरे सावन महीना कोकिला व्रत रख जाता है.

Update: 2021-07-22 15:38 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :-  हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को कोकिला पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है. इस बार कोकिला पूर्णिमा का व्रत 23 जुलाई 2021 को है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूरे सावन महीना कोकिला व्रत रख जाता है. कोकिला पूर्णिमा का व्रत विशेष रूप से दक्षिण भारत में रखता है. इस व्रत को आठ दिनों तक रखा जाता है. नियम के अनुसार जो महिलाएं इस व्रत को रखती है उन्हें हर सुबह सूर्योदय से पहले उठना होता है और शाम को सूर्य देव की पूजा की जाती है. कोकिला व्रत देवी सती और भगवान शिव को समर्पित होता है. आइए जानते हैं इस व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में.

कोकिला पूर्णिमा तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, 23 जुलाई 2021 को शुक्रवार के दिन सुबह 10 बजकर 43 मिनट से शुरू हो रहा है. जो अगले दिन सुबह 08 बजकर 36 मिनट पर समाप्त होगा.
कोकिला पूर्णिमा महत्व
कोकिला पूर्णिमा व्रत सुहागिन महिलाएं और कुंवारी लड़कियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस व्रत को सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. वहीं, कुंवारी लड़कियां इस व्रत को अच्छे पति की कामना से रखती हैं. व्रत को करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.
कोकोला पूर्णिमा व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार जब माता सती बिना अपने पिता के निमंत्रण में राजा दक्ष के यज्ञ में चल जाती है. वहां उनकी और भगवान शिव का बहुत अपमान होता है. ये सब सुनकर सती यज्ञ के कुंड में कूदकर आत्मदाह कर शरीर त्याग देती है. भगवान शिव उनका वियोग सहन नहीं कर पाते हैं. और बिना आज्ञा के दक्ष के यज्ञ में जाने और शरीर त्याग करने पर भगवान शिव माता सती को कोकिला होने का श्राप दे देते हैं. माता सती कोयल के रूप में हजारों सालों तप करती हैं . इस तप के फल स्वरूप वो अगले जन्म में देवी पार्वती के रूप मे लौटती हैं और भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करती हैं.


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