आज धनतेरस पर पूजा करते समय जरूर पढ़ें यह पूजा मंत्र और आरती

आज शुक्रवार यानी 13 नवंबर को धनतेरस की पूजा की जाती है। इस दिन से ही दिवाली का उत्सव शुरू हो जाता है। मान्यता है

Update: 2020-11-13 12:48 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| आज शुक्रवार यानी 13 नवंबर को धनतेरस की पूजा की जाती है। इस दिन से ही दिवाली का उत्सव शुरू हो जाता है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन सुदर्शन वासुदेव धन्वंतरि की पूजा की जाती है। भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लिए हैं। ये तीनों लोकों के स्वामी हैं। भगवान घन्वंतरि, विष्णु भगवान का स्वरूप है। धनतेरस के धन्वंतर भगवान के अलावा माता लक्ष्मी और कुबेर की भी पूजा की जाती है। कहा जाता है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति हुई थी। धनतेरस की पूजा करते समय आपको धन्वंतरि भगवान के मंत्र और आरती जरूर पढ़नी चाहिए। आइए पढ़ते हैं धन्वंतरि भगवान के मंत्र और आरती।

मंत्र:

ॐ धन्वंतराये नमः॥

आरोग्य प्राप्ति हेतु मंत्र:

ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:

अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय

त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप

श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

पवित्र धन्वंतरि स्तो‍त्र:

ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।

सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥

कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम।

वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम॥

धनतेरस पर जरूर पढ़ें यह आरती:

जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।

जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय धन्वं.।।

तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।

देवासुर के संकट आकर दूर किए।

जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।

जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।

आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।

सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।

जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा

जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।

भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।

आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।

जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।

जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।

तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।

असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।

जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।

जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।

हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।

वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।

जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।

जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।

धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।

रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।

जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।

जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।

 

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