आज मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं जानें पूजा मुहूर्त, मंत्र, विधि एवं आरती के बारे में

आज चैत्र नवरात्रि की द्वितीया तिथि है. आज मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं

Update: 2022-04-03 03:34 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज चैत्र नवरात्रि की द्वितीया तिथि है. आज मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा (Maa Brahmacharini Puja) करते हैं. मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में जप की माता और दूसरे हाथ में कमंडल होता है. वह श्वेत वस्त्र धारण करती हैं. भगवान भोलेनाथ को पति स्वरुप में पाने के लिए मां ब्रह्मचारिणी ने कई वर्षों तक कठोर तपस्या की. उन्होंने कठोर ब्रह्मचर्य का पालन किया. उनकी पूजा करने से व्यक्ति को जीवन का सही मार्ग प्राप्त होता है. संघर्ष करने की शक्ति प्राप्त होती है. उनकी कृपा से सदाचार, वैराग्य एवं त्याग जैसे गुणों में वृद्धि होती है. आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी के पूजा मुहूर्त, मंत्र, विधि (Maa Brahmacharini Puja Vidhi) एवं आरती (Maa Brahmacharini Ki Aarti) के बारे में.

मां ब्रह्मचारिणी पूजा मुहूर्त 2022
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं. ऐसे में चैत्र शुक्ल द्वितीया तिथि 02 अप्रैल दिन शनिवार को दिन में 11:58 बजे शुरु हुई है और इसका समापन 03 अप्रैल दिन रविवार को दोपहर 12:38 बजे होगा. उदयातिथि के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा आज होगी.
आज सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:09 से लेकर दोपहर 12:37 बजे तक है. सर्वार्थ सिद्धि योग में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा आपके लिए फलदायी और कल्याणकारी होगी. इस दिन का शुभ समय दोपहर 12 बजे से दोपहर 12:50 बजे तक है.

मां ब्रह्मचारिणी पूजा मंत्र
ओम देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः

मां ब्रह्मचारिणी का बीज मंत्र
ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:

प्रार्थना मंत्र
दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

मां ब्रह्माचारिणी की पूजा विधि
आज प्रात: स्नान के बाद मां ब्रह्माचारिणी का ध्यान करें. फिर मां ब्रह्माचारिणी को अक्षत्, फूल, धूप, गंध, दीप, फल आदि अर्पित करें. उनको शक्कर का भोग लगाएं. पूजा के समय मां ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का उच्चारण करें. मां ब्रह्मचारिणी को गुलदाउदी का फूल प्रिय है. इस मौसम ​में मिला मुश्किल है, ऐसे में आप उनको सफेद फूल चढ़ा सकते हैं. पूजा के अंत में घी के दीपक या कपूर से मां ब्रह्मचारिणी की आरती करें.

मां ब्रह्माचारिणी की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।

रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता…


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