आज चैत्र नवरात्रि पर बनेगा शनि-मंगल का शुभ योग

हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र का महीना हिंदू नववर्ष का पहला महीना माना जाता है और इसी माह में मां दुर्गा की पूजा आराधना का त्योहार चैत्र नवरात्रि मनाया जाता है

Update: 2022-04-02 05:09 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र का महीना हिंदू नववर्ष का पहला महीना माना जाता है और इसी माह में मां दुर्गा की पूजा आराधना का त्योहार चैत्र नवरात्रि मनाया जाता है। हिंदू पंचाग के अनुसार कुल मिलाकर चार नवरात्रि मनाए जाते हैं। इनमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि के इस पावन पर्व पर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करने का विधान है। नवरात्रि के प्रथम दिन शैलपुत्री माता की पूजा होती है और इसी तरह क्रमशः ब्रह्मचारिणी माता, चंद्रघंटा माता, कूष्मांडा माता, स्कंदमाता, कात्यायनी माता, कालरात्रि माता, महागौरी माता और सिद्धिदात्री माता की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों में भक्त श्रद्धा-भाव के साथ माता की कृपा पाने के लिए उपवास रखते हैं। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 02 अप्रैल, शनिवार यानी आज से शुरू हो चुके हैं। जिसका समापन 11 अप्रैल, सोमवार के दिन होगा। चैत्र के महीने में आने वाली नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि और शरद ऋतु में आने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है।

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
चैत्र प्रतिपदा की तिथि पर घट स्थापना की जाती है। इस बार चैत्र नवरात्रि पर घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 02 अप्रैल को प्रातः 06 बजकर 10 मिनट से 08 बजकर 29 मिनट तक है। ऐसे में चैत्र नवरात्रि पर घटस्थापना का शुभ मुहूर्त कुल 02 घंटे 18 मिनट तक रहेगा।
ऐसी रहेगी ग्रहों की स्थिति
चैत्र नवरात्रि में मकर राशि में शनि देव, मंगल के साथ रहेंगे, जो पराक्रम में वृद्धि करेंगे। शनिवार से नवरात्रि का प्रारंभ शनिदेव का स्वयं की राशि मकर में मंगल के साथ रहना निश्चित ही सिद्धि कारक है। इससे कार्य में सफलता, मनोकामना की पूर्ति, साधना में सिद्धि मिलेगी। चैत्र नवरात्रि के दौरान कुंभ राशि में गुरु, शुक्र के साथ रहेगा। मीन में सूर्य, बुध के साथ, मेष में चंद्रमा, वृषभ में राहु, वृश्चिक में केतु विराजमान रहेंगे।
बनेंगे ये शुभ योग
चैत्र नवरात्रि में रवि पुष्य नक्षत्र के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग नवरात्रि को स्वयं सिद्ध बनाएंगे। सर्वार्थ सिद्धि योग का संबंध लक्ष्मी से होता है। ऐसा माना जाता है कि इस योग में कार्य का आरंभ करने से कार्य की सिद्धि होती है। वहीं रवियोग समस्त दोषों को नष्ट करने वाला माना गया है। इसमें किया गया कार्य शीघ्र फलीभूत होता है।
चैत्र नवरात्रि का धार्मिक महत्व
चैत्र नवरात्रि नवसंवतसर की पहली नवरात्रि मानी जाती है। इसलिए इस नवरात्रि का धार्मिक महत्व है। ब्रह्म पुराण के अनुसार नवरात्रि के पहले दिन आद्यशक्ति प्रकट हुई थी। और ऐसी मान्यता है कि देवि के आदेश पर ब्रह्मा जी ने चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को सृष्टि के निर्माण की शुरुआत की थी। मत्स्य पुराण के अनुसार चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इसके बाद श्री विष्णु ने भगवान राम के रूप में अपना सातवां अवतार भी चैत्र नवरात्रि में ही लिया था। इसलिए चैत्र नवरात्रि का महत्व स्वतः ही बढ़ जाता है।
चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की होती है पूजा
हिंदू धर्म में नवरात्रि को बेहद पावन पर्व माना गया है चाहे वह गुप्त नवरात्रि हो, शारदीय नवरात्रि हो या फिर चैत्र नवरात्रि। इन नौ दिनों में मां के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। प्रथम दिन माता शैलपुत्री के पूजन से नवरात्रि का आरंभ होता है और फिर क्रमश: दूसरा दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरा चंद्रघंटा, चौथा कूष्मांडा, पांचवां स्कंदमाता, छठवां कात्यायनी, सातवां कालरात्रि, आठवां मां महागौरी और नौवां दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित होता है।
इस बार यह होगा मां दुर्गा का वाहन
धार्मिक मान्यताओं की मानें तो प्रत्येक नवरात्रि में मां दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं और विदाई के वक्त माता रानी का वाहन अलग होता है। इस बार भी चैत्र नवरात्रि में देवी दुर्गा घोड़े पर सवार होकर पृथ्वी पर आएंगी। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार नवरात्रि शनिवार के दिन से आरंभ हो रही है और दिन के अनुसार ही देवी अपने वाहन का चयन करती हैं। नवरात्रि का अंतिम दिन सोमवार है और इसलिए इस बार जाते समय मां दुर्गा का वाहन भैंसा होगा।
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