आज शनि कुंभ राशि में करेंगे प्रवेश, ये राशियां भी रहेंगी लकी
वैशाख कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि 29 अप्रैल 2022 दिन बृहस्पतिवार को धनिष्ठा नक्षत्र तृतीय चरण में ग्रहों में न्यायाधीश की पदवी प्राप्त शनिदेव का गोचरीय परिवर्तन होने जा रहा है।
वैशाख कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि 29 अप्रैल 2022 दिन बृहस्पतिवार को धनिष्ठा नक्षत्र तृतीय चरण में ग्रहों में न्यायाधीश की पदवी प्राप्त शनिदेव का गोचरीय परिवर्तन होने जा रहा है। शनिदेव अपनी पहली राशि मकर से अपनी ही दूसरी राशि कुंभ में प्रवेश करने जा रहे हैं । शनिदेव का यह परिवर्तन ग्रहीय मंत्रिमंडल में एक बड़ा परिवर्तन के रूप में देखा जा सकता है। लगभग ढाई वर्षो तक एक राशि में गोचरीय संचरण करने वाले शनि देव अपना सर्वाधिक शुभ अथवा अशुभ फल प्रदान करने में समर्थ होते हैं। ऐसी स्थिति में जब यह मजबूत अवस्था को प्राप्त करते हुए अपनी दूसरी राशि में प्रवेश करेंगे तो अपना संपूर्ण फल प्रदान कर पाने में सफल होंगे। देखा जाए तो मेष से लेकर मीन लग्न के जातकों के लिए अलग- अलग प्रभाव स्थापित करेंगे। किसी के लिए साढ़े साती से मुक्ति प्रदान करेंगे, तो किसी के लिए साढ़ेसाती का आरंभ । किसी के लिए ढैया का समापन होगा तो किसी के लिए ढैया का आरंभ होगा । कोई अपने जीवन में उपलब्धियों का गाथा लिखेगा तो कोई अपनी परेशानियों से तंग आकर के तनाव महसूस करेगा। जहाँ शनि देव तुला राशि में उच्चता को प्राप्त करते हैं तो मेष राशि में नीचत्व को प्राप्त करते हैं। शनिदेव न्यायाधीश है अतः व्यक्ति द्वारा किए गए कर्म के फल को प्रदान करते हैं। व्यक्ति का जैसा कर्म होगा उसी प्रकार से उसको फल की प्राप्ति होती है यदि व्यक्ति शुभ कर्म करेगा तो शुभ फल की प्राप्ति होगी तथा जब व्यक्ति अशुभ कर्म करेगा, दूसरों का अधिक शोषण करेगा तो उसे कष्ट की प्राप्ति होगी। शनि का गोचरीय परिवर्तन चराचर जगत सहित सभी को प्रभावित करेगा। मेष से लेकर के मीन लग्न पर्यंत के जातकों पर क्या प्रभाव स्थापित करेगा इसको हम जानने के क्रम में मेष और वृष लग्न वालों के लिए शनि का यह गोचरीय परिवर्तन किस प्रकार का फल प्रदान करेगा इसको हम समझेंगे विस्तृत रूप से।
मेष :- मेष लग्न अथवा मेष राशि वालों के लिए शनि दशम एवं एकादश अर्थात कर्म एवं लाभ के कारक होकर लाभ भाव में गोचर करने जा रहे हैं। परिणाम स्वरूप लाभ की प्राप्ति कराएंगे। मेष लग्न अथवा मेष राशि के लोगों को उनके कर्म का फल प्रदान करेंगे। व्यापारिक गतिविधियों में वृद्धि करेंगे। व्यापारिक गतिविधियों में परिवर्तन करेंगे। व्यापारिक विस्तार की स्थिति करेंगे।नौकरी में परिवर्तन, पदोन्नति कराने में पूर्णता मदद करेंगे।अचानक धन लाभ की स्थिति चाहे राज्य सेवा में हो अथवा प्राइवेट सेक्टर में कार्यरत हो सहयोगी के रुप में ही शनि देव कार्य करेंगे परंतु अपनी दृष्टिकोण से नकारात्मक फल भी प्रदान करेंगे। शनिदेव की पहली दृष्टि, तीसरी दृष्टि होगी जो लग्न पर पड़ेगी मेष राशि पर पड़ेगी और मेष राशि पर नीच दृष्टि होती है फलत: शारीरिक अस्वस्थता में वृद्धि करेंगे। मानसिक चिंता में वृद्धि करेंगे। नकारात्मक विचारों का उत्पादन करेंगे साथ ही अचानक मति भ्रम की स्थिति भी उत्पन्न करेंगे। अतः मूल कुंडली में लग्नेश को मजबूत किया जाना नितांत आवश्यक होगा। शनिदेव की अगली दृष्टि पंचम भाव अर्थात संतान भाव पर होगा ऐसी स्थिति में संतान को लेकर के किसी न किसी रूप में चिंता उत्पन्न हो सकता है। अध्ययन अध्यापन को लेकर के अवरोध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। संतान के कैरियर को लेकर के भी चिंता हो सकती है। शनि देव की अगली दृष्टि अष्टम भाव वृश्चिक राशि पर होगा फलस्वरूप पेट व पैर की समस्या से भी तनाव उत्पन्न होगा । यदि मूल कुंडली में शनि की स्थिति अशुभ है तो नकारात्मक फलों में वृद्धि भी इस गोचरी परिवर्तन के साथ देखने को मिलेगा इस प्रकार मूल कुंडली में शनि देव की स्थिति को देखते हुए उपचार करना शुभ फल प्रदायक साबित होगा। वैसे एकादश भाव में शनि देव का परिवर्तन लाभ एवं धन की दृष्टि से बेहद शुभ फल प्रदायक होगा।
वृष :- लग्न अथवा वृष राशि वालों के लिए शनिदेव का गोचरीय परिवर्तन बड़ा ही महत्वपूर्ण परिवर्तन के रूप में साबित होगा। क्योंकि वृष लग्न अथवा वृष राशि वालों के लिए शनिदेव सर्वाधिक शुभ फल प्रदान ग्रह के रूप में जाने जाते हैं। क्योंकि भाग्य एवं राज्य के कारक होते हैं।यहां पर भाग्य भाव से राज्य भाव में गोचर करने जा रहे हैं। जो कर्म क्षेत्र में, सामाजिक पद प्रतिष्ठा, व्यवसाय , नौकरी , राजनैतिक क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन कराएंगे। वृष लग्न में अथवा वृष राशि में शनि का यह परिवर्तन निश्चित रूप से सामाजिक दृष्टिकोण से , राजनीतिक दृष्टिकोण से , व्यापारिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो उन्नति का मार्ग प्रशस्त करने वाला साबित होगा।यदि मूल कुंडली में शनि की स्थिति मजबूत है तो यह परिवर्तन जीवन के उत्तम समय के रूप में जाना जाएगा।शनि की दृष्टि व्यय भाव पर होगा जो की नीच दृष्टि है। खर्च में भी वृद्धि होगा, व्यापारिक गतिविधियों के लिए बड़ी यात्राओं पर खर्च भी हो सकता है। आंख की समस्या के कारण भी धन खर्च हो सकता है। विदेश यात्रा लाभ फल प्रदायक हो सकता है। शनिदेव की अगली दृष्टि सुख भाव पर होगा। शुभ कारक होने के कारण ज्यादा नकारात्मक फल प्रदान नहीं करेंगे फिर भी सीने की तकलीफ ,कफ़, सर्दी, खांसी, एलर्जी, घबराहट ,बीपी आदि की समस्या से तनाव उत्पन्न करते रहेंगे। माता के स्वास्थ्य को लेकर चिंता भी उत्पन्न होता रहेगा। गृह और वाहन पर भी खर्च का वातावरण बनेगा। यदि आप जमीन से जुड़ा कोई कार्य करना चाहते हैं अर्थात गृह निर्माण से संबंधित कोई विचार पहले से आप बना रहे हैं तो इसमें फलीभूत होने की स्थिति में आ जाएगा। शनि की दृष्टि सप्तम भाव पर भी होगा। फलतः दांपत्य जीवन को लेकर तनाव, जीवन साथी के स्वास्थ्य को लेकर चिंता, व्यापारिक साझेदारी में तनाव उत्पन्न हो सकता है। नियमित आय को लेकर थोड़ा सा परिवर्तन अवश्य होगा।